Tuesday, March 11, 2014

दलित चिंतन का ढोंग

शशांक द्विवेदी 
भाई ये दलित चिंतन ,दलित चिंतक ,दलित लेखक कौन लोग होते है ?क्या दलित ही दलित चिंतन और सवर्ण ,सवर्ण चिंतन कर सकता है मतलब जो जिस जाति का है वो उसी जाति का चिंतन कर सकता है .. अधिकांश जगह दलित चिंतक (नेताओं में ),दलित लेखक (साहित्य में ) देखने को मिलता है . फिर ये सवाल इसलिए दिमाग में आया कि क्या कोई सवर्ण दलित चिंतन नहीं कर सकता क्या ?क्योंकि आजकल जितने भी दलित चिंतक मीडिया या राजनीति में दिख रहें है वो तो सबसे फर्जी है और दलितों को मुर्ख बना रहें है ..इन लोगों से बड़ा अवसरवादी और ब्राह्मणवादी तो मैंने कभी देखा ही नहीं ..मायावती तो पहले ही महाभ्रष्ट ,सवर्णों और ब्राह्मणवाद की बाँहों में है ,रामविलास को को दलितों से कोई मतलब नहीं बल्कि सिर्फ कुर्सी चाहिए ,उदितराज जैसे सैकड़ों कथित दलित नेता पहले ही पूंजीवादी व्यवस्था का अंग बन चुके है  ...इतने सब फर्जी,दलबदलुओं ,महाभ्रष्ट लोगों को देखकर भी दलित समाज इन्हें दलित चिंतक ,दलित नेता कहता है ...कमाल है ...