उज्ज्वल पाठ
''अकसर लोग अविवेकी, कुतर्की और आत्मकेंद्रित होते हैं, फिर भी उन्हें माफ करते रहना। अगर तुम दयालु हो तो लोग तुम पर स्वार्थी होने और परोक्ष मंतव्य रखने का दोष लगाएंगे; कुछ भी हो जाए, तुम दयालुता न छोड़ना! अगर तुम सफल हो, तुम्हें कुछ झूठे दोस्त और कुछ सच्चे शत्रु मिल जाएंगे; कुछ भी हो, पर तुम सफलता की राह पर बढ़ते रहना! अगर तुम ईमानदार और उन्मुक्त हो, लोग तुम्हें धोखा दे सकते हैं; कुछ भी हो, तुम ईमानदार और मुक्त ही होना! जिसे बनाने में तुम्हें वर्षों लगे, कोई उसे रात भर में नष्ट कर सकता है; कुछ भी हो, निर्माण में लगे रहना। अगर तुम्हें शांति और आनंद मिले तो उन्हें ईर्ष्या हो सकती है; फिर भी प्रसन्न बने रहना। आज तुम जो भला करते हो, लोग अक्सर उसे कल ही भूल जाएंगे; फिर भी अच्छा ही करते रहना। जो तुम्हारे पास है, उसका सर्वश्रेष्ठ संसार को देना। वह कभी पर्याप्त नहीं होगा; फिर भी संसार को अपना सर्वश्रेष्ठ ही देना!''