Sunday, August 19, 2012

कब थमेगा कन्या भ्रूण हत्या का सिलसिला


प्रियंका शर्मा द्विवेदी




21may12 को राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित 
कन्या भ्रूण हत्या का मुद्दा एक बार फिर पूरे देश में सुर्खियों में है। आमिर खान के टीवी शो सत्यमेव जयते’ को देखकर लगने लगा है कि गर्भस्थ कन्या हत्या का वास्तविक सत्य पूरे देश में अलख जगा रहा है। ये सत्य देश के लोगों और सरकार की बरसों से बंद आंखें खोलने के लिये पर्याप्त है। इतनी गंभीर समस्या पर सरकार भी अभी तक ठोस और सार्थक कदम नहीं उठा पाई और समाज भी उदासीन रहा। सिर्फ बेटे की चाह में अनगिनत मांओं की कोख उजाड़ दी गई। लेकिन आमिर के प्रयास से इस मुद्दे पर समाज और देश में हलचल होने लगी है। सरकार और न्यायपालिका भी इस जघन्य अपराध पर सख्त होने को मजबूर हो गई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राज्य में हर हाल में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के निर्देश देनाइलाहाबाद में चिकित्सा विभाग की टीम द्वारा स्टिंग आपरेशन करके महज 1500 रुपये में कन्या भ्रूण हत्या करने वाले दोषी डाक्टर को पकड़ना और पूरे देश में राजनेताओं सहित समाज के प्रबुद्ध वर्ग का आगे आना इसकी प्रतिक्रिया के साक्षी हैं। पिछले दिनों जयपुर हाईकोर्ट ने भ्रूण लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या पर सख्ती दिखाते हुए जिला न्यायालयों को तीन माह में आरोप तय करने और पुलिस को लंबित मामलें में दो माह में चार्जशीट पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही दोषी डॉक्टरों व जांच केंद्रों पर कार्रवाई करने को कहा है। सुखद स्थिति है कि राजस्थान में कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए ये कदम उठाया गयालेकिन यदि सभी राज्य की सरकारें एकजुट होकर कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम करें तभी सही मायने में यह प्रयास सार्थक होगा। यह विडंबना ही है कि जिस देश में कभी नारी को गार्गीमैत्रेयी जैसी विदुषी महिलाओं के रूप में सम्मान प्राप्त हुआवहीं अब कन्या के जन्म पर परिवार और समाज में दुख व्याप्त हो जाता है। जरूरत है कि लोग अपनी गरिमा पर प्रश्नचिह्न लगाने वाली ऐसी सोच से बचें और कन्या के जन्म को अपने परिवार में देवी अवतरण के समान माने। पिछले दशक में गर्भ में लिंग जांच और कन्या भ्रूण हत्या का चलन सबसे ज्यादा रहा है। एक नए अनुसंधान के मुताबिक भारत में पिछले 20 सालों में कम से कम सवा करोड़ बच्चियों की भ्रूण हत्या की गई है। अगर इन बच्चियों को नहीं बचाया गया तो लड़कों के समक्ष भी संकट खड़ा हो जाएगा। अंतरराष्ट्रीय पत्रिका द लैंसेट में हाल ही में छपे इस शोध में दावा किया गया है कि भ्रूण में मारी गई बच्चियों की तादाद करोड़ 50 लाख तक भी हो सकती है। सेंटर फार ग्लोबल हेल्थ रिसर्च के साथ किए गए इस शोध में वर्ष 1991 से 2011 तक के जनगणना आंकड़ों को नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के साथ जोड़कर निष्कर्ष निकाले गए हैं। इस देश में गर्भ में कन्या की हत्या करने का सिलसिला तब शुरू हुआ जब देश के गर्भ में भ्रूण की पहचान कर सकने वाली अल्ट्रासाउंड मशीन’ का चिकित्सकीय उपयोग प्रारंभ हुआ। दरअसलपश्चिम के वैज्ञानिकों ने इसका अविष्कार गर्भ में पल रहे बच्चे तथा अन्य रोगियों पेट के दोषों की पहचान कर उसका इलाज करने की नीयत से किया था। लेकिन भारत में जिस तरह इसका दुरुपयोग गर्भ में बच्चे का लिंग परीक्षण कराकर कन्या भ्रूण हत्या का चलन आरंभ हुआ उसने समाज की स्थिति को बहुत बिगाड़ दिया। गौरतलब है कि भारत सरकार ने 17 साल पहले ही एक कानून पारित किया थाजिसके मुताबिक पैदा होने से पहले बच्चे का लिंग मालूम करना गैरकानूनी है। लेकिन राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरता कोष की पूर्व कार्यकारी निदेशक शैलजा चंद्रा के मुताबिक इस कानून को लागू करना बेहद मुश्किल है। चंद्रा कहती हैं कि कानून को लागू करने वाले जिला स्वास्थ्य अफसर के लिए लिंग जांच करने वाले डॉक्टर पर नकेल कसना बहुत मुश्किल हैक्योंकि डाक्टरों के पास नवीनतम तकनीक उपलब्ध है। उनके मुताबिक कानून को लागू करने के लिए राज्य स्तर पर मुख्यमंत्रियों को ये बीड़ा उठाना होगा और इसे प्राथमिकता देनी होगीतभी अफसर हरकत में आएंगे और डॉक्टरों को पकड़ने के तरीके निकालेंगे। फिलहाल तो स्थिति यह है कि लोगों में पुत्र की बढ़ती लालसा और खतरनाक गति से लगातार घटता स्त्री-पुरुष अनुपात समाजशास्त्रियोंजनसंख्या विशेषज्ञों और योजनाकारों के लिए चिंता का विषय बन गया है। यूनिसेफ के अनुसार दस प्रतिशत महिलाएं विश्व जनसंख्या से लुप्त हो चुकी हैं। स्त्रियों के इस विलोपन के पीछे कन्या भ्रूण हत्या ही मुख्य कारण है। भ्रूण हत्या का कारण है कि हमारे समाज में व्याप्त रुढ़िवादिता और लोगों की संकीर्ण सोच। संकीर्ण मानसिकता और समाज में कायम अंधविश्वास के कारण लोग बेटा-बेटी में भेद करते हैं। ज्यादातर मां-बाप सोचते हैं कि बेटा तो जीवनपर्यत उनके साथ रहेगा और बुढ़ापे में उनका सहारा बनेगा। समाज में वंश परंपरा का पोषक लड़कों को ही माना जाता है। इस पुत्र कामना के चलते ही लोग अपने घर में बेटी के जन्म की कामना नहीं करते। बड़े शहरों के कुछ पढ़े-लिखे परिवारों में यह सोच थोड़ी बदली हैलेकिन गांव-देहात और छोटे शहरों में आज भी बेटियों को लेकर पुराना रवैया कायम है। मदर टेरेसा ने कहा थाहम ममता के तोहफे को मिटा नहीं सकते। स्त्री और पुरुष के बीच कुदरती समानता खत्म करने के लिए हिंसक हथकंडे अपनाने से समाज पराभव की ओर बढ़ता है। नारी मानव शरीर की निर्माता हैफिर भी उसी की अवहेलना की जा रही है। नारी अपने रक्त और मांस के कण-कण से संतान का निर्माण करती है। नर और नारी जीवनरूपी रथ के ऐसे दो पहिए हैंजिनके बिना यह रथ आगे नहीं बढ़ सकता। समाज में पुरुषत्व का अहंकार कन्या के प्रति हिंसक है। लड़कियों के प्रति बढ़ते अपराधों को कानून व्यवस्था या सरकार की नाकामी मानना एक सुविधाजनक स्थिति है और समाज के अपराध को दरकिनार करना एक गंभीर बहस से बचने का सरल उपाय भी है। हम नारीवादी बुद्धिमाननारियों पर हमले होने पर रो सकते हैं पर समाज का सच नहीं देखना चाहते। हकीकत यह है कि समाज अब नारियों के मामले में मध्ययुगीन स्थिति में पहुंच रहा है। हम भी चुप नहीं बैठ सकते क्योंकि जब नारी के प्रति अपराध होता है तो मन द्रवित हो उठता है और लगता है कि समाज अपना अस्तित्व खोने को आतुर है।

article link
http://rashtriyasahara.com/epaperpdf//2152012//2152012-md-hr-10.pdf

Friday, August 17, 2012

सरकारी खजाने की लूट


घोटालों की गिरफ्त में देश
शशांक द्विवेदी 
हरिभूमि लेख 
देश के  निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला प्राकृतिक संसाधन, काला सोना कोयला भी अब  घोटाले का शिकार बन गया है . यूपीए सरकार के एक और 'नीतिगत निर्णय' के कारण सीऐजी के अनुसार देश को  1.86 लाख करोड़ का  रुपये का नुक्सान हुआ है .देश में अभी २ जी स्पेट्रम और कामनवेल्थ घोटाले की तपिश कम भी नहीं हुए थी अब  देश का सबसे बड़ा घोटाला सामनें आ गया . संसद में सीएजी ने कोयला, बिजली और नागरिक उड्डयन पर अपनी रिपोर्ट पेश कर दी । इनमें देश को करीब 2 लाख 18 हजार करोड़ का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। कोयला ब्लॉक आवंटन में 1.86 लाख करोड़, नागरिक उड्डयन में करीब 3415 करोड़ व बिजली कंपनियों के पॉवर प्रोजेक्ट में 29 हजार करोड़ का नुकसान देश को हुआ है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के अनुसार कोयला खानों को प्रतिस्पर्धी बोलियों की बजाय आवेदन के आधार पर आवंटित करने से चुनिंदा निजी फार्मों को संभावित 1.86 लाख करोड रुपये का फायदा हुआ. सीएजी की राय में यदि प्रतिस्पर्धात्मक बोली के जरिए आवंटन किए गए होते तो निजी फर्मों के इस संभावित लाभ का एक हिस्सा सरकारी खजाने को भी मिल सकता था. प्रतिस्पर्धी बोलियां नहीं मंगाकर निजी क्षेत्र की कंपनियों को सीधे नामांकन के आधार पर कोयला ब्लॉक आवंटित किये जाने से उन्हें फायदा हुआ. इस रिपोर्ट में निजी क्षेत्र की 25 कंपनियों के नाम गिनाये गये हैं जिन्हें सीधे नामांकन के आधार पर कोयला ब्लॉक आवंटित किये गये. इनमें एस्सार पावर, हिन्डाल्को इंडस्टरीज, टाटा स्टील, टाटा पावर ,लक्ष्मी मित्तल आर्सेलर्स ग्रुप , वेदांता और जिंदल स्टील एण्ड पावर का नाम शामिल है.
नीलामी के आधार पर आवंटन की प्रक्रिया में देरी की वजह से कोयला ब्लॉक आवंटन की मौजूदा प्रक्रिया निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिये फायदेमंद साबित हुई.कैग ने यह अनुमान कोल इंडिया की वर्ष 2010.11 के दौरान कोयला उत्पादन की औसत लागत और खुली खदान से कोयला बिक्री के औसत मूल्य के आधार पर लगाया है.
यदि कोयला ब्लॉक आवंटन के लिये प्रतिस्पर्धी बोलियां मंगाने के कई साल पहले लिये गये निर्णय पर अमल कर लिया जाता तो कंपनियों को होने वाले इस अनुमानित वित्तीय लाभ का कुछ हिस्सा सरकारी खजाने में पहुंच सकता था.लेकिन ऐसा नहीं किया गया . सरकारी आय-व्यय की लेखापरीक्षा करने वाली इस संस्था ने कहा है कि ग्राहकों तक सस्ता कोयला पहुंचे यह सुनिश्चित करने के लिये क्षेत्र में मजबूत नियामक और निगरानी प्रणाली की आवश्यकता है. कोयला खानों का आवंटन प्रतिस्पर्धी बोलियों के जरिये किये जाने की घोषणा वर्ष 2004 में ही कर ली गई थी. लेकिन सरकार अभी तक इस प्रकार की बोलियां मंगाने के तौर तरीके ही तय नहीं कर पाई.

कॉरपोरेट घरानों को कोयले की खानें सरकार ने कौड़ियों के भाव दीं .सरकार ने 2004 से 2009 के बीच लगभग 100 कंपनियों को 155 कोयला खदानों का आवंटन किया। इससे सरकारी खज़ाने को बहुत नुकसान हुआ। ये 1.76 लाख करोड़ के 2जी घोटाले से ज्यादा बड़ी रकम है। इस दौरान कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था। आवंटन की नीति निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई.
बिजली परियोजनाओं को लेकर भी सीएजी रिपोर्ट में निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की बात कही गई है। मसलन एक ही कंपनी को एक से ज्यादा अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट विकसित करने की इजाजत दी गई जिसमें कैग ने सरकार पर टाटा पॉवर और रिलायंस पॉवर को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है। टाटा और रिलायंस को उनकी जरूरत से ज्यादा जमीन अधिग्रहीत करने की इजाजत दी गई।
सासन प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए कंपनियों ने गलत जानकारी दी। सरकार ने रिलायंस पॉवर को सासन प्रोजेक्ट के लिए आवंटित तीन ब्लॉक से तय मात्रा से कहीं ज्यादा कोयला निकालने की इजाजत दी। सीएजी के मुताबिक निजी कंपनियों को कम से कम 29 हजार करोड़ का फायदा हुआ।
दिल्ली में निजी कंपनी जीएमआर और सरकार की भागीदारी से बने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के मामले पर भी सीएजी की एक रिपोर्ट पेश हुई है। इससे जुड़ी सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने महज 1,813 करोड़ रुपये में 60 साल के लिए जीएमआर को दिल्ली एयरपोर्ट की जमीन लीज पर दे दी।
एयरपोर्ट के अलावा लगभग पांच हजार एकड़ ज़मीन भी मामूली रकम लेकर दे दी गई। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यात्रियों और करदाताओं को हुए नुकसान की भी अनदेखी की। ये नुकसान करीब 3 हजार 750 करोड़ रुपये का है। सीएजी ने तत्कालीन एविएशन मंत्री प्रफुल्ल पटेल की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है। सीएजी के मुताबिक प्रफुल्ल पटेल के दौर में मंत्रालय ने दिल्ली एयरपोर्ट बनाने वाली कंपनी जीएम्आर  को 3400 करोड़ का फायदा पहुंचाया। इसके साथ ही दिल्ली एयरपोर्ट संचालित करने वाली कंपनी डायल पर नियमों के विपरीत डेवलेपमेंट फीस वसूलने का आरोप भी लगा है।
हमारे देश का दुर्भाग्यप है कि हम किसी विदेशी द्वारा नहीं, बल्कि अपने ही लोगों द्वारा लूटे जा रहे हैं।  देश में भ्रष्टाचार कम होने की जगह बढ़ता ही जा रहा है। देश में भ्रष्टाचार की वजह से ही मंहगाई बढ़ रही है और  अर्थव्यवस्था पर लगातार विपरीत असर पड़ रहा है .देश में राजनीतिज्ञों द्वारा किये गए भ्रष्टाचार ने सभी हदे पार कर दी है .भ्रष्टाचार के मामले में भारत की छवि और बदतर हुई है। पिछले दिनों  ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के भ्रष्टाचार मापक सूचकांक में 183 देशों की सूची में भारत और नीचे खिसककर 95वें पायदान पर चला गया है। पिछले साल यह 87वें स्थान पर था।  इसके निष्कर्ष के अनुसार  पिछले तीन सालों में बड़े-बड़े घोटाले उजागर हुए हैं। जिस तरीके से कोल ब्लाक आवंटन पर बंदरबाट हुई और कोयला (काले सोने ) पर घोटाला किया गया यह  देश के लिए शर्मशार कर देने वाली घटना है .
कोयले जैसे प्राकृतिक संसाधन को नीलाम न करवा कर और उसे ऐसे ही निजी एवं सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनियों को सस्ते दामों मनमाने तरीके से देने पर  देश को इतना बड़ा नुक्सान हुआ है | यह अनुमान सस्ते कोयले पर लगाया गया है न कि मध्यम दर्जे के कोयले पर, यानी मध्यम कीमतों पर अनुमान लगायें तो ये राशि और अधिक होगी | इस घोटाले में २०  अरब टन कोयला शामिल है जो वर्तमान उत्पादन क्षमता के अनुसार ४०  साल तक देश के लिए बिजली पैदा करने के लिए काफी होता |

वास्तव में इसकी सीधी सीधी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की है जिससे अब वह भाग नहीं सकते क्योंकि इस पूरे समय चक्र के दौरान वो खुद कोयला मंत्री रहें है .बेहतर होगा कि वह खुद सामने आकर अपना पक्ष रखे और इस घोटालें में शामिल लोगों पर कड़ी कारवाही करते हुए निजी कंपनियों को आवंटित कोल ब्लाकों को अबिलम्ब रद्द करके नए सिरे से इनकी नीलामी का आदेश दे. जब उनके पास मंत्रालय का प्रभार था तो सरकारी खजाने को हुए नुकसान की जिम्मेनदारी उन्हेंु लेनी चाहिए।'देश में लगातार हो रहें घोटालों के लिए अब समय आ गया है जब जनता को भी जागना होगा और सरकार को भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कड़ी कर्त्वाही के लिए मजबूर करना होगा . 
लेख लिंक 
http://epaper.haribhoomi.com/Details.aspx?id=3163&boxid=139007528 

Wednesday, August 15, 2012

स्वतंत्रता दिवस और जन्मदिवस

आज मेरा और मेरे देश दोनों का जन्मदिवस है...मेरा तो कुछ नहीं पर मेरा देश सदा सर्वदा के लिए अमर हो जाये, हमेशा तर्रक्की करे,फिर से विश्व गुरु बने,इसी कामना के साथ आप सभी को सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ...मेरे जन्मदिवस पर आप सभी मित्रों की शुभकामनाओं से मै अभिभूत हूँ ,इसके लिए आप सभी का ह्रदय से आभार ..