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इंजीनियरिंग से मोहभंग 9770936
Friday, October 19, 2012
बाबा जी को भावभीनी श्रधांजली.....

उनको समर्पित यह कविता
“बाबा” कहते थे
बाबा ने बड़ा किया
बाबा ने ही खड़ा किया
बाबा ने ही विचार दिए
बाबा ने ही जीवन दृष्टी दी
“बाबा” कहते थे ‘बबलू ’
बड़ा आदमी नहीं बनना है
सिर्फ साधारण आदमी बनना है
जो दूसरों के काम आयें
ऐसा आदमी बनना है
जो पाया है ,उससे ज्यादा
देना है परिवार को
समाज को और इस देश को
उनको हमेशा रिश्ते
सहेजते देखा है
रिश्तों को रिश्ता
समझते देखा है
दूसरों के लिए सर्वस्व
अर्पित करते हुए भी देखा है
अहिंसा ,दया और सहनशक्ति
के साथ जीते देखा है
जिंदगी के हर पहलू में
हमेशा इन्ही को
आजमाते देखा है
कहते थे बबलू सपने देखों
सपने ही सच होते है
आगे बढ़ो ,रुको नहीं
ईश्वर सदा साथ है आदमी के
ऐसा ही विश्वास करते देखा है
कहते थे बबलू
सहारे न लो
सिर्फ सहारा बनों
ग़मों के सायों में
दुखों के भूचाल
में भी उन्हें
सदा मुस्कराते देखा है
सिर्फ रिश्तों के लिए
परिवार के लिए
उनको रोते देखा है
पुराने जमाने में भी
उन्हें आधुनिक होते हुए देखा है
परम्परा के साथ नयें विचारों
के संगम को देखा है
गृहस्थ के रूप में भी
संत को देखा है .
स्वरचित –शशांक द्विवेदी
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