Thursday, March 21, 2013

कुछ यादें इंजीनियरिंग और लेखन से जुड़ी हुई


पिछले 3 सालों में लेखन के क्षेत्र में मैंने अपने बहुत सारे सपने पूरे किये जो मै बचपन में देखता था .अखबार का सम्पादकीय पेज ही मुझे सबसे ज्यादा प्रिय था क्योंकि वही पेज सभी संस्करणों में बदलता नहीं था .शहरों के हिसाब से खबरों वाले पेज बदल जाते थे ,बस तभी निश्चय कर लिया था कि बस इसी पेज के लिए लिखना है .बहुत कम उम्र में (लगभग २१ वर्ष ) बी टेक करते समय ही देश के कई प्रमुख अखबारों दैनिक जागरण ,अमर उजाला ,जनसत्ता ,दैनिक आज ,स्वतंत्र प्रभात आदि  में मेरे लेख संपादकीय पेज पर प्रकाशित हुए तो आत्मविश्वास बहुत ज्यादा बढ़ गया .सपने पूरे होने लगे ,उम्मीदों को नए पंख लग गए .इसी दौरान अमर उजाला ,आगरा में विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित कॉलम "साइबर बाइट्स " नियमित रूप से लिखने का अवसर मिला .ये कॉलम सप्ताह में तीन बार प्रकाशित हुआ ,काफी अच्छा लगा और प्रसिद्धि भी मिली ,नए लोगों से जुड़ा .अमर उजाला में काम करने के दौरान ही मेरी मुलाक़ात प्रियंका से हुई  जो  वही पर सब एडीटर थी  .मिला तो लगा कि बस यही है जिसकी मुझे तलाश थी कुछ मुलाकातों में ही प्यार परवान चढ़ा और हमारी शादी हो गयी .इसी समय एक राष्ट्रीय स्तर की तकनीकी पत्रिका टेक्नीकल टुडे से जुड़ा .संदीप शर्मा के साथ मिलकर हम इन्जीनियरिंग के छात्रों ने इस पत्रिका को निकाल कर और सफल बनाकर बहुत बड़ा काम किया .उस समय लगा कि एक टीम के साथ मिलकर बड़ा काम किया जा सकता है .बाद में प्रकाशन की दिक्कतों और अनुभव की कमी के कारण इस प्रोजेक्ट को हमें पोस्टपोन करना पड़ा .उस समय भी टूटे नहीं ,झुके नहीं ,न ही इस पत्रिका को हमने व्यासायिक हाँथों में बिकने दिया जबकि उस समय टेक्नीकल टुडे को लेकर कई बड़े प्रस्ताव हमारे पास आये .क्रमशः..जारी 

2 comments:

  1. खट्टे मीठी यादों को साझा करने का शुक्रिया....
    आगे के इंतज़ार में....

    शुभकामनाएं.
    अनु

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