शशांक द्विवेदी
पिछले दो दिनों से मन बहुत ख़राब और उदास है ,ताज भाई की असमय ,अस्वाभाविक और संदिग्ध परिस्तिथियों में हुई मृत्यु ने मुझे व्यक्तिगत तौर पर बुरी तरह से झकझोर दिया है ..ताजबाबू मेरें सबसे अच्छे मित्रों में से एक था और दिल के बेहद करीब था .अभी भी ताज के आगे “था “ लिखनें में हाथ कॉप जातें है . बचपन से ही(सरस्वती शिशु मंदिर ), शिशु से हमारा साथ और याराना रहा , दिल्ली –एनसीआर में भी ताज एक मात्र मेरा ऐसा मित्र था जिसको मै कभी भी पूरे हक़ से साथ बुला सकता था ,हम दोनों अक्सर मिलते थे ,जब भी मिलनें का मन होता तो सीधे बिना उसको बताये नोयडा के आईटी स्टीलर पार्क में उसकी कंपनी इनोडेटा पहुँच जाता या फिर वो मेरे घर आ जाता ,सबसे बड़ी बात हमारें रिश्तों में जो थी वो ये कि हम हमेशा बिना किसी प्रोफेशनल काम के ही मिलते थे .ताज भाई मेरी जिन्दगी में एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन पर मै आँख बंद कर भरोसा करता था .कहते है ना कि एक लॉयल मित्र हजार रिश्तेदारों से हमेशा बेहतर होता है . वो मेरा ऐसा पारिवारिक मित्र था जिस पर मुझे और प्रियंका दोनों को सबसे ज्यादा भरोसा था .
पिछले दो दिनों से मन बहुत ख़राब और उदास है ,ताज भाई की असमय ,अस्वाभाविक और संदिग्ध परिस्तिथियों में हुई मृत्यु ने मुझे व्यक्तिगत तौर पर बुरी तरह से झकझोर दिया है ..ताजबाबू मेरें सबसे अच्छे मित्रों में से एक था और दिल के बेहद करीब था .अभी भी ताज के आगे “था “ लिखनें में हाथ कॉप जातें है . बचपन से ही(सरस्वती शिशु मंदिर ), शिशु से हमारा साथ और याराना रहा , दिल्ली –एनसीआर में भी ताज एक मात्र मेरा ऐसा मित्र था जिसको मै कभी भी पूरे हक़ से साथ बुला सकता था ,हम दोनों अक्सर मिलते थे ,जब भी मिलनें का मन होता तो सीधे बिना उसको बताये नोयडा के आईटी स्टीलर पार्क में उसकी कंपनी इनोडेटा पहुँच जाता या फिर वो मेरे घर आ जाता ,सबसे बड़ी बात हमारें रिश्तों में जो थी वो ये कि हम हमेशा बिना किसी प्रोफेशनल काम के ही मिलते थे .ताज भाई मेरी जिन्दगी में एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन पर मै आँख बंद कर भरोसा करता था .कहते है ना कि एक लॉयल मित्र हजार रिश्तेदारों से हमेशा बेहतर होता है . वो मेरा ऐसा पारिवारिक मित्र था जिस पर मुझे और प्रियंका दोनों को सबसे ज्यादा भरोसा था .
आज के इस बुरे दौर
में भी ताज भाई की वजह से इंसानियत और आदमियत पर भरोसा कायम था . मेरी किसी भी
परेशानी में वो मुझसे ज्यादा ही परेशान होता...अपने घर की बहुत सारी आर्थिक समस्याओं
और जिम्मेदारी के होते हुए भी हमेशा मुस्कुराते हुए ही मिलता ,पिछले दिनों ३
अक्टूबर को घर आया तो बोला भाई २१ नवंबर को बहन की शादी फिक्स हो गयी है ,अब उसकी
तैयारी करनी है .अपने घर और माता –पिता की जिम्मेदारी निभाते निभाते वो अपने सारे
सपने ही भुल चुका था .इस बेरहम दुनियाँ के सैकड़ों कडवे अनुभव उसके पास थे फिर भी
इंसानियत उसमें सबसे ज्यादा ही थी . धर्म
और राजनीती को सबसे बेकार की चीज मानता था वो , उसका स्पष्ट मानना था कि दुनियाँ
में धर्म के नाम पर ही सबसे ज्यादा हिंसा की जा रही है .मुस्लिम होने की वजह से कई
बार वो सामाजिक कटुता का शिकार भी हुआ लेकिन फिर भी बोलता था कि भाई हमारे धर्म के
लोगों ने जिस तरह जेहाद के नाम पर पुरी
दुनियाँ में कत्लेआम मचा रखा है उसकी कुछ कीमत तो हमें भी चुकानी होगी ही .. बोलता
था कि दुनियाँ में अगर कही जन्नत है तो वो अपना देश भारत ही है ,अपना देश और इस
देश की मिट्टी ही हमारा सब कुछ है . ताज भाई आस्तिकता और नास्तिकता के बीच में हमेशा
इंसानियत को लेकर खड़ा रहें . जिन समस्याओं
और संघर्षो को ताज भाई जी रहें थे उतना तो मै इस जिन्दगी में नहीं जी पाता ..बहुत बार घर ,समाज और मित्रों के बीच भी ताज भाई उपेक्षा
का शिकार रहें लेकिन कभी अपनी जिजीविषा को मरने नहीं दिया . हम दोनों की मित्रता धार्मिक
आधार पर हिंदू –मुस्लिम से बहुत ज्यादा ऊपर थी,उसके साथ रहते हुए मुझे हमेशा लगता
कि यार इस देश में जो भी हिंदू –मुस्लिम हो रहा है वो बेकार की बात है ..धन प्रधान
इस आधुनिक युग में ताज भाई जैसा निस्वार्थ भाव मैंने अपने किसी भी मित्र में नहीं
देखा . पैसे के पीछे मैंने आज तक ताज भाई को भागते हुए नहीं देखा ..मै अक्सर जब
उससे मिलता तो बोलता चल भाई आज बाहर पार्टी करते है ,तो बोलता यार बेवजह से पैसे
खर्च मत कर चल तुझे अरहर की बेहतरीन दाल चावल बना कर खिलाता हूँ (दाल चावल हम दोनों
का ही फेवरेट था ),बोलता यार घर के बाहर कितना भी पैसा खर्च कर ले लेकिन संतुष्टि
नहीं मिलती. उसकी खूबियों की जितनी बात करू उतनी ही कम है लेकिन लोगों की
निस्वार्थ सेवा भावना उसमें सबसे बड़ी थी .पिछले दो दिनों से हर पल उसकी याद आती है
,आँख बंद करते ही उसका चेहरा याद आता है ,मुझे यकीन ही नही हो रहा कि अब वो इस
दुनियाँ में नही रहा . इस तरह से उसकी असमय मृत्यु की मैंने कभी कल्पना भी नहीं थी
. वो मेडिकली भी फिट था ,किसी भी तरह के नशे और व्यसन से भी दूर था फिर भी अचानक उसका
कमरें में मृत पाया जाना मुझे किसी साजिश
की आशंका से भर देता है .लेकिन दुसरे पल यह भी सोचता हूँ कि उसकी कभी किसी से कोई
दुश्मनी /मारपीट /लड़ाई /विवाद/अफेयर आदि
कुछ नहीं था ऐसे में कोई उसे क्यों मारेगा .खैर इन सब सवालों के जवाब अभी भविष्य
की गर्त में छिपें है लेकिन ताज भाई के इस तरह जाने ने मुझे इस एनसीआर में बिलकुल
अकेला छोड़ दिया .क्योंकि वो एकमात्र मेरा ऐसा मित्र था जिससे मै हमेशा बिना किसी
काम के मिलता था . उसने यह भी साबित किया कि प्रपंच ,झूठ और दिखावे के बिना भी मित्रता सहज तरीके से निभाई जा सकती है . खैर ताज भाई
तुम हमेशा मेरी यादों में रहोगो और तुम्हे भुला पाना संभव ही नहीं है ..ईश्वर
तुम्हारी आत्मा को शांति दे ..भावभीनी श्रधांजली
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