Sunday, October 9, 2011

श्रधांजलि स्टीव जॉब्स


नवप्रवर्तन ही सफल जीवन जीने की कुंजी है
एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स इस दुनिया में  नहीं रहे पर उनके विचार हमेशा प्रासंगिक रहेगे|जीवन कि विषम परिस्थितियों में गुजर कर भी उन्होंने जो  किया वह  आज की युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल   रहेगी | उनके पूरे जीवन को ध्यान से देखे तो पता चलता है कि वो योग्यता ,क्षमता ,मौलिकता ,नवप्रवर्तन में विश्वास रखते थे | उनके पास कोई तकनीकी डिग्री नहीं थी फिर भी उन्होंने अपने विश्वास,समर्पण ,मेहनत के जरिये विश्व में एक नयी  तकनीकी कंप्यूटर क्रांति की आधारशिला रखीं| स्टीव जॉब्स इस शताब्दी  की महान प्रतिभा थे। स्टीव ने हमेशा बड़े सपने देखे, बड़ी कल्पनाएं कीं। जब कंप्यूटिंग की दुनिया काली स्क्रीनों से जद्दोजहद करती थी, वे मैकिंटोश कंप्यूटरों के माध्यम से ग्राफिकल यूजर इंटरफेस; कंप्यूटर की चित्रात्मक मॉनीटर स्क्रीन ले आए। जब इस मशीन के साथ हमारा संवाद कीबोर्ड तक सिमटा हुआ था तब उन्होंने माउस को लोकप्रिय बनाकर कंप्यूटिंग को काफी आसान और दोस्ताना बना दिया। कंप्यूटर के सीपीयू टावर का झंझट खत्म कर उसे मॉनीटर के भीतर ही समाहित कर दिया तो सिंगल इलेक्टि्रक वायर कंप्यूटिंग डिवाइस पेश कर हमें तारों के जंजाल में उलझने से बचाया। इसके बाद आइपॉड (2001), आइफोन (2007) तथा आइपैड (2010) की अपरिमित सफलता हमारे सामने आई। जब दुनिया कीबोर्ड और मोबाइल कीपैड में उलझी थी, तो उन्होंने हमें टचस्क्रीन से परिचित कराया। स्टीव जॉब्स थे ही ऐसे अनूठे, अलग, मनमौजी किंतु परिणाम देने के लिए किसी भी हद तक जाने वाले|

स्टीव जॉब्स ने विश्वविद्यालय में अपनी पढाई  बीच में ही  छोड़ दी उसके बाद ही उन्होंने अपने जीवन में बड़े बड़े प्रयोग किये और तकनीक को एक नयी दिशा दी |वास्तव में डिग्री और योग्यता का कोई सम्बन्ध नहीं है | आज के युवा सिर्फ डिग्री के पीछे भाग रहे है जबकि अगर ध्यान से देखा जाये तो विश्व में बड़े से बड़े काम उन लोगो ने किये जिनके पास कोई डिग्री नहीं थी | 12 जून, 2005 को स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में उनका भाषण विश्व के हर विद्यालय में प्रेरक पाठ के नाते पढ़ाए जाने योग्य है।
उन्होंने कहा मैं स्नातक नहीं हो सका, पहली बार मैं किसी कॉलेज के दीक्षांत कार्यक्रम के इतने करीब आया हूं। आज मैं अपनी जिंदगी की तीन कहानियां आपको सुनाना चाहता हूं। बस यही, कोई बड़ी बात नहीं, सिर्फ तीन कहानियां। आज उनकी वही ३ कहानिया विश्व इतिहास की सबसे अमूल्य धरोहर बन गई है |
अपने भाषण में उन्होंने माना कि मृत्यु को उन्होंने जीवन के बड़े कार्य शीघ्र करने का सबसे बड़ा उपकरण बनाया। उन्होंने कहा, ‘यही (मृत्यु) वह गंतव्य है, जो हममें से सबका साझा है। समय सीमित है, व्यर्थ में दूसरों का समय कभी खराब मत करो। इसलिए जो करना है, उसमें आलस्य  मत करो। अपने दिल कि सुनो और आगे बढ़ो |
वह वास्तव में एक युग द्रष्टा थे जिन्होंने सिर्फ सपने ही नहीं देखे बल्कि उन सपनो को यथार्थ के धरातल पर साकार भी किया | उन्होंने  अपनी तकनीकों, उत्पादों और विचारों के जरिए विश्व में क्रांतिकारी बदलाव लाए। आइटी की दुनिया में तकनीक का सृजन करने वाले तो बहुत हैं, लेकिन उसे सामान्य लोगों के अनुरूप ढालने और खूबसूरत रूप देने वाले बहुत कम। स्टीव जॉब्स एक बहुमुखी प्रतिभा, एक पूर्णतावादी, करिश्माई तकनीकविद और अद्वितीय रचनाकर्मी थे। तकनीक के संदर्भ में उन्हें एक पूर्ण पुरुष कहना गलत नहीं होगा।  अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए बिल्कुल सही कहा कि स्टीव की सफलता के प्रति इससे बड़ी श्रद्धांजलि और क्या होगी कि विश्व के एक बड़े हिस्से को उनके निधन की जानकारी उन्हीं के द्वारा आविष्कृत किसी न किसी यंत्र के जरिए मिली।
कैंसर जैसे अपराजेय प्रतिद्वंद्वी के सामने भी प्रबल आत्मबल का परिचय दिया। स्टीव जानते थे कि उनके इलाज की अपनी सीमाएं हैं और तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें जाना होगा अपनी मृत्यु को निश्चित जानकर भी उन्होने उसको भी जिया और कहा जब मैंने मौत को सबसे नजदीक से देखा और उम्मीद करता हूं कि अगले कुछ दशकों में बस यही सबसे नजदीकी हो। उस दौर को जीकर अब मैं आपसे ये ज्यादा मजबूती से कह सकता हूं, मुझे मौत लाभकारी लगी। लेकिन मृत्यु पूरी तरह से आध्यात्मिक अवधारणा है। दुनिया में कोई भी आदमी मरना नहीं चाहता। यहां तक कि जो लोग दिल में स्वर्ग की ख्वाहिश पाले रखते हैं, वे भी मरना नहीं चाहते। पर हकीकत तो यहीं है|
आप के पास समय बहुत कम है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जीने के लिए बर्बाद मत करो। सिद्धांतों के भंवर में मत उलझो। किसी और के मत को अपनी भीतरी आवाज पर हावी मत होने दो। सबसे अहम अपने दिल और अन्तज्ञाüन की सुनो और उसका अनुसरण करो। 
वास्तव में तीन सेबों ने पूरी दुनिया बदल दी। जन्नत के वर्जित सेब ने, आइजक न्यूटन के सामने गिरे सेब ने और स्टीव जॉब्स के सेब यानी एप्पल ने। सेब (एप्पल)  को फल से मशीन बना देने वाले जॉब्स शायद दुनिया के सबसे मशहूर बिजनेसमैन होंगे।एप्पल कंप्यूटर को दुनिया के सामने लाने वाले लोग स्टीव जॉब्स को एक कामयाब बिजनेसमैन, एक बेहतरीन आविष्कारक, एक लीडर और एक जिद्दी इंसान के तौर पर जानते हों लेकिन उनसे जुड़े लोग बताते हैं कि वह किसी बच्चे से कम नहीं थे। किसी नये प्रोडक्ट को लेकर जॉब्स का लगाव लड़कपन की हद तक चला जाता था और उन्हें चैन तभी आता, जब उस प्रोडक्ट की कामयाबी पक्की हो जाती।कई महान अमेरिकी कंपनियों की तरह जॉब्स ने भी एप्पल की शुरुआत अपने गैरेज में की थी। नाम एप्पल जरूर रखा गया और इसका निशान भी जन्नत के प्रतिबंधित फल की तरह दिखता है, जिसकी एक बाइट ली जा चुकी है। एप्पल का पहला लोगो भी एक सेब का पेड़ था, जिसके नीचे आइजक न्यूटन बैठे दिखते थे। बाद में जब लोगो बदला तो जॉब्स के पसंदीदा म्यूजिक बैंड बीटल्स के साथ उनका झगड़ा भी हुआ। एप्पल का लोगो बीटल्स की कंपनी के लोगो से मिलता जुलता था। पर बाद में सब सुलझ गया।

वास्तव में स्टीव जॉब्स जैसे लोग रोज रोज जन्म नहीं लेते ,उनके जीवन का आधारभूत सिद्धांत स्टे हंग्री-स्टे फूलिश (भूख रखिये और नासमझ बने रहिये ) सदियों तक लोगो को प्रेरणा देता रहेगा |जीवन में हमेशा कुछ नया करने के लिए तत्पर रहना चाहिए क्योकि नवप्रवर्तन ही सफल जीवन जीने की कुंजी है |आज वो हमारे बीच नहीं है पर उनके द्वारा किये गए काम हमेशा हमें उनकी यद् दिलाते रहेगे और हमें प्रेरणा देते रहेगे |उनके प्रति सच्ची श्रधांजलि यही होगी कि युवा वर्ग अपनी योग्यता ,क्षमता ,मौलिकता और मेहनत के साथ काम करे |

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