मनीषा पांडे
अगर मुझे अपने
परिवेश से इस बात के लिए भयानक गुस्सा है कि बचपन में उन्होंने मुझे एक मूर्ख, डरपोक और वर्जिनिटी का मुकुट गर्व से भरकर अपने
माथे पर सजाने वाली लड़की की तरह पालने में कोई कसर नहीं छोड़ी तो मुझे थोड़ा दुख
अपने भाइयों के लिए भी मना लेना चाहिए क्योंकि उनको भी कठोर ताड़ का पेड़, प्रेमरहित ठूंठ बनाने में इस सिस्टम ने कोई
कसर नहीं छोड़ी। मुझे सिखाने की कोशिश की कि तुमको अपने जीवन की कोई जिम्मेदारी
लेनी की जरूरत नहीं। बाप पालेंगे, बियाह
कर देंगे और उसके बाद पति जिंदगी भर पालता रहेगा। तुम्हें सोचने की क्या जरूरत
कि तुम कैसे सर्वाइव करोगी। और मेरे भाइयों के दिमाग में बचपन से ठूंस दिया गया कि
शादी के बाद बीवी-बच्चों को पालना है, बुढ़ापे
में मां-बाप को पालना है। बेचारा, जिंदगी
भर सबको पालता ही रहे। मैं कमजोर और भावुक हो सकती थी, रो सकती थी, चंचल
हो सकती थी, लेकिन बेचारे मर्दानगी से भरे भाइयों को रोना
अलाउ नहीं था। वो मर्द के पट्ठे हैं। छाती तानकर लाठी भाजेंगे, खून बहाएंगे, लड़के
के सीने में सिर छुपाकर रोएंगे थोड़े न। मुझे सिखाने की कोशिश हुई कि अच्छी, चरित्रवान लड़कियों को शादी के पहले किसी मर्द
को हथेली की सबसे छोटी उंगली का पोर भी छूने की इजाजत नहीं देनी चाहिए और भाई के
लिए नो वर्जिनिटी टैग। बेचारे भाई, खून
से खत लिखते फिरते, अपनी बहनों की वर्जिनिटी को सात तालों में, सात पर्दों में रखते और खुद बेचैन फिरते कि कोई
तो मिल जाए। भाई खुद किस करना चाहते थे और बहनों को किस से वंचित रखना चाहते थे।
अब कैसे करेंगे किस क्योंकि तुम्हारी बहन पर निगाह टिकाए आदमी ने भी तो अपनी बहन
को बंद कर रखा है। कैसा दुखद कुचक्र है। बहनें किस कर नहीं पाती थीं और भाइयों को
किस करने के लिए कोई मिलती नहीं थी। वर्जिन तो रह गए दोनों ही।
नॉउ कुकिंग इज सच ए फन, बेचारे भाई जानते ही नहीं। किसी को प्यार करना, उसके लिए अपने हाथों से कुछ बनाना कितने मजे की बात है। दिल भीग-भीग जाता है प्यार से। लेकिन भाइयों को क्या मालूम, उन्हें तो सिर्फ ऑर्डर लगाना सिखाया गया। बच्चे की नैपी चेंज करना भी फन है। मुझे तो मजा आता है। "ओ लिटिल मंकी, ज्यादा कूदो मत। इतना हिलोगी तो नैपी कैसे बदलूंगी। यार प्लीज, मुझे मजा आ रहा है क्या तुम्हारी गीली नैपी बदलने में। दो मिनट, हिलना बंद करो। अरे वाह, हो गया। अब फिर सूसू कर देना दस मिनट में।" भाई लोग ऐसे प्यार में भीगे-नहाए नन्ही परी से बात करते हुए उसकी नैपी नहीं चेंज करते। ठूंठ हो गए हैं सब, मर्दानगी में। बेचारे, जानते ही नहीं कि उनकी परवरिश ने उन्हें किन नाचुक चीजों से वंचित कर दिया। सबके सिर पर बहन-बीवी की इज्जत बचाने का बोझ लदा हुआ है। अब बहन-बीवी खुद की इतनी सक्षम हो तो उनका बोझ कम होगा। लेकिन नहीं, लादे रहो अपने सिर पर। अपनी पत्नियों-प्रेमिकाओं के साथ बिस्तर पर ऐसे अहंकारी गुंडे। अपना काम किया, कट लिए। उफ, लड़कियां थोड़ा उनके लिए भी दुख मनाएं क्योंकि बिलीव मी, दे आर डिप्राइव्ड ऑफ द जॉय ऑफ रीअल लव मेकिंग। बेचारे बहुत-बहुत वंचित हैं। नहीं जानते, सचमुच प्यार क्या होता है।
इस समाज के पुरुष भी बहुत वंचित हैं। प्यार से वंचित हैं, घर के कामों में शेयरिंग के सुख से वंचित हैं, स्त्री की दोस्ती से वंचित हैं, बच्चे का टिफिन तैयार करने के सुख से वंचित हैं।
चलो, थोड़ा दुख उनके लिए भी मनाएं।
नॉउ कुकिंग इज सच ए फन, बेचारे भाई जानते ही नहीं। किसी को प्यार करना, उसके लिए अपने हाथों से कुछ बनाना कितने मजे की बात है। दिल भीग-भीग जाता है प्यार से। लेकिन भाइयों को क्या मालूम, उन्हें तो सिर्फ ऑर्डर लगाना सिखाया गया। बच्चे की नैपी चेंज करना भी फन है। मुझे तो मजा आता है। "ओ लिटिल मंकी, ज्यादा कूदो मत। इतना हिलोगी तो नैपी कैसे बदलूंगी। यार प्लीज, मुझे मजा आ रहा है क्या तुम्हारी गीली नैपी बदलने में। दो मिनट, हिलना बंद करो। अरे वाह, हो गया। अब फिर सूसू कर देना दस मिनट में।" भाई लोग ऐसे प्यार में भीगे-नहाए नन्ही परी से बात करते हुए उसकी नैपी नहीं चेंज करते। ठूंठ हो गए हैं सब, मर्दानगी में। बेचारे, जानते ही नहीं कि उनकी परवरिश ने उन्हें किन नाचुक चीजों से वंचित कर दिया। सबके सिर पर बहन-बीवी की इज्जत बचाने का बोझ लदा हुआ है। अब बहन-बीवी खुद की इतनी सक्षम हो तो उनका बोझ कम होगा। लेकिन नहीं, लादे रहो अपने सिर पर। अपनी पत्नियों-प्रेमिकाओं के साथ बिस्तर पर ऐसे अहंकारी गुंडे। अपना काम किया, कट लिए। उफ, लड़कियां थोड़ा उनके लिए भी दुख मनाएं क्योंकि बिलीव मी, दे आर डिप्राइव्ड ऑफ द जॉय ऑफ रीअल लव मेकिंग। बेचारे बहुत-बहुत वंचित हैं। नहीं जानते, सचमुच प्यार क्या होता है।
इस समाज के पुरुष भी बहुत वंचित हैं। प्यार से वंचित हैं, घर के कामों में शेयरिंग के सुख से वंचित हैं, स्त्री की दोस्ती से वंचित हैं, बच्चे का टिफिन तैयार करने के सुख से वंचित हैं।
चलो, थोड़ा दुख उनके लिए भी मनाएं।
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