Thursday, September 11, 2014

पाकिस्तान में अल्पसंखयकों का उत्पीड़न

शशांक द्विवेदी 

नेशनल दुनियाँ में प्रकाशित 
नेशनल दुनियाँ के संपादकीय पेज पर प्रकाशित 
पाकिस्तान की एक संस्था पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ लेबर एजुकेशन एंड रिसर्च (पाइलर ) की एक रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले 20 सालों के दौरान पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरवाद बढ़ा है । जिसकी वजह से धार्मिक अल्पसंखयकों के साथ भेदभाव, उत्पीड़न एवं हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। वहां के हिंदुओं, सिखों और  ईसाइयों के साथ हो रहे भेदभाव के कारण वहां मानवाधिकारों के लिए खतरा पैदा हो गया है। वास्तविकता तो यह है कि धार्मिक अल्पसंखयकों के साथ भेदभाव का यह सिलसिला भारत पाकिस्तान के बँटवारे के बाद से ही शुरू हो गया था जो बाद के सालों में बढ़ता ही गया । उसके बाद भी न सिर्फ जारी है, बल्कि इसमें बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल पाकिस्तान के कराची में लगभग 100 साल पुराने मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया और उसके आस-पास बसे करीब 40 हिन्दू परिवार के घरों को भी उजाड़ दिया गया । पकिस्तान में यह कोई पहला मौका नहीं है जब ऐसे मंदिर ध्वस्त किया गया हो या हिंदू परिवारों को उजाड़ा गया हो बल्कि यह घटनाएँ तो साल दर साल बढ़ रही रही है और वहाँ की अल्पसंख्यक हिंदू आबादी अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है । पाकिस्तान में हिन्दू होना एक अभिशाप के सिवा कुछ नही रह गया है । हिन्दू लडकियों का जबरन धर्म-परिवर्तन, मंदिरों को ध्वस्त कर देना वहाँ की बहुसंख्यक आबादी के लिए आम बात है । 1951 में पाकिस्तान में 75 लाख हिंदू थे और अब 18 लाख रह गए हैं।जबकि भारत में आजादी के समय लगभग २ करोड़ मुस्लिम थे जिनकी आबादी इस समय बढ़ कर लगभग ३२ करोड़ हो गई है ..इससे साफ़ है कि भारत मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए दुनियाँ का सबसे बेहतर देश है फिर भी यहाँ के कथित सेकुलर लोग सिर्फ मुस्लिम वोटबैक के लिए उनकी भावनाएं भडकाते रहते है. इनके लिए इस देश में धर्मनिरपेक्षता का सिर्फ एक मतलब है वो है सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण जबकि भारत में मुस्लिम न तो अल्पसंख्यक है न ही कमजोर है बल्कि दुनियाँ के किसी और देश के मुकाबले मजबूत और बेहतर स्तिथि में है .लेकिन इन घटिया और दो कौड़ी के कथित सेकुलर लोगों को पाकिस्तान में हिंदुओं की स्तिथि नहीं दिखती ,न ही ये देखना चाहते ,इन्हें पाकिस्तान के हिंदू शरणार्थी नही दिखते ,इन्हें कश्मीरी पंडित भी नहीं दिखते ...लानत है ऐसी घटिया धर्मनिरपेक्षता पर
 जनरल जियाउल हक के तानाशाही शासन के दौरान तो कट्टरवाद की सारी हदें ही पार हो गई थी । पाकिस्तान में लगातार बढ़ रहे कट्टरवाद एवं धार्मिक पहचानवाद के कारण वहां के अल्पसंखयकों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है और वे वहां के मुख्य समाज से कटते जा रहे हैं। हिंसक भीड़ का शिकार होना, ईशनिंदा कानून का शिकार होना एवं लड़कियों के जबरन धर्मातरण के कारण इन समुदायों को वहां या तो भय के वातावरण में जीवन गुजारना पड़ रहा है या मौका पाते ही वे दूसरे देशों की ओर पलायन कर रहे हैं।
पिछले साल पाकिस्तान के कराची में लगभग 100 साल पुराने मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया और उसके आस-पास बसे करीब 40 हिन्दू परिवार के घरों को भी उजाड़ दिया गया । पकिस्तान में यह कोई पहला मौका नहीं है जब ऐसे मंदिर ध्वस्त किया गया हो या हिंदू परिवारों को उजाड़ा गया हो बल्कि यह घटनाएँ तो साल दर साल बढ़ रही रही है और वहाँ की अल्पसंख्यक हिंदू आबादी अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है । पाकिस्तान में हिन्दू होना एक अभिशाप के सिवा कुछ नही रह गया है । हिन्दू लडकियों का जबरन धर्म-परिवर्तन, मंदिरों को ध्वस्त कर देना वहाँ की बहुसंख्यक आबादी के लिए आम बात है । 1951 में पाकिस्तान में 75 लाख हिंदू थे और अब 18 लाख रह गए हैं। वर्ष 2013 में वहां के मानवाधिकार आयोग ने कहा था कि वहां हर महीने 25 हिंदू  लड़कियों का अपहरण हो रहा है। इनका धर्मांतरण करके मुसलमान युवकों से निकाह  करवा दिया जाता है। लगातार बढ़ रहे कट्टरवाद और  ईश निंदा कानून के चलते यहाँ  अल्पसंख्यक हिंदुओं  का जीना मुश्किल  हो गया है। इसी वजह से पाकिस्तान से हिंदुओं  का पलायन जारी है । यहाँ शारीरिक और मानसिक शोषण  के अलावा उनके धर्मस्थलों को भी तबाह किया जा रहा है। साल 2012 में यहाँ हिंदुओं के 4 प्रसिद्ध धर्मस्थल नष्ट  किए गए । जो अपने आप में  ऐतिहासिक धरोहर भी थे । फरवरी 2012 में रावलपिंडी में राम मंदिर तोड़ा गया, फिर नवम्बर में कराची स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर और अधिकृत कश्मीर में मनेसरा स्थित विशाल शिवालय ध्वस्त किया गया है। कराची की एक अदालत में मामला लम्बित होने व अदालत की निषेधाज्ञा के बावजूद पिछले साल 100 साल पुराना श्री राम पीर मंदिर तथा इसके आसपास के कई मकान भी बुल्डोजरों की सहायता से तोड़ दिए जिससे लगभग  40  परिवार बेघर हो गए।
पाकिस्तान में रह रहें अल्पसंख्यक हिंदुओं की स्तिथि काफी दयनीय होती जा रही है । अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों के पूजास्थल मंदिर और गुरुद्वारे बहुत बुरी हालत में हैं । इनके अधिकाँश पूजास्थल या तो ध्वस्त कर दिए गए या निकट भविष्य में ध्वस्त कर दिए जायेगें । सरकार सिर्फ मूकदर्शक बन कर हिंदुओं पर हो रहें अत्याचारों को देख रही है । साल दर साल हालात बिगड़ रहें है ,हिंदू पलायन को मजबूर हो रहें है लेकिन पाकिस्तानी सरकार कुछ नहीं कर रही है । अल्पसंख्यक हिंदू आबादी मंदिरों पर हमलों से परेशान है ।
पाकिस्तान में सरकार अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों मंदिरों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है । पाकिस्तान में मंदिर,गुरुद्वारा  या चर्च गिराने लगातार जारी है । देश में व्यावसायिक कारणों से अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को गिराया जा चुका है । अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव किया जाता है । पिछले कुछ सालों में ये हमले कई गुना बढ़ गए हैं । पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय खासकर हिंदू काफी डरे हुए हैं और उन्हें सरकार से किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है, यहाँ पर कुछ कट्टरपंथी संगठन यह सोचते हैं कि हिंदुओं पर और मंदिरों पर हमला कर के इन्हें जन्नत नसीब होगी । पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथ बढ़ता जा रहा है और समय के साथ साथ कट्टरपंथी और ताकतवर होते जा रहे हैं । जबकि सरकार अल्पसंख्यकों को और उनके धार्मिक स्थलों को बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है । पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेम्बली एवं राज्य असेम्बलियों में अल्पसंखयकों के लिए आरक्षित सीटों पर उनके सीधे नामांकन के बजाय उन्हें चुनाव में उतरने का कानून बनने के बाद वहां की संसद व विधानसभाओं में अल्पसंखयकों के पहुंचने का रास्ता भी करीब-करीब बंद हो गया है।
यहाँ के हिंदू-मुसलमान के बीच असली समस्या  1947 से चली आ रही है  जब मुस्लिम बहुल पाकिस्तान को धार्मिक आधार पर एक अलग राष्ट्र बनाया गया था । ज्यादातर  ऊंची जाति के हिंदू पाकिस्तान छोड़कर भारत चले गए जबकि दलित जाति के हिंदू पाकिस्तान में ही रह गए जो मुख्य रूप से गरीब और अनपढ़ हैं । 1980-1990  में इस्लामी कट्टरपंथ के  दौर में  असुरक्षित हिंदू समुदाय और ज्यादा असुरक्षित हो गया । पिछले कुछ वर्षों में हिंदुओं को सिलसिलेवार ढंग से महिलाओं के अपहरण और जबरन धर्मांतरण का सामना करना पड़ा है । इस तरह के कदमों को अकसर कट्टरपंथी गुटों का संरक्षण मिला होता है । इन गुटों का काम होता है, अल्पसंख्यक हिंदुओं पर दबाव बनाना । पाकिस्तान के कानून में अब भी औपनिवेशिक समय के कानून हैं जिनमें धार्मिक स्थानों और वस्तुओं का अपमान करने के लिए सजा निर्धारित है । लेकिन ये समाज पर निर्भर करता है कि समाज उन्हें लागू करने के लिए कितना प्रतिबद्ध है ।

पाकिस्तान में योजनाबद्ध रूप से अल्पसंख्यकों व उनके धर्म स्थलों को समाप्त किया जा रहा है।  पाकिस्तान में रह रहे लाखों  हिन्दुओं के साथ स्थानीय बहुसंख्यक  समुदायों के द्वारा काफी बदतर सुलूक किया जाता है। इतनी बदतर जिंदगी जीने के बाद भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय अपनी  रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है लेकिन विश्व समुदाय और  भारत सरकार इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं कर रहा है । जबकि पाकिस्तान में लगभग हर दिन  अल्पसंखयकों की हत्यायें हो रही है और उनके धार्मिक स्थलों को तोडा जा रहा है । पाकिस्तान में इस शोषण से आजिज आकर अब  हजारों हिन्दू परिवार वहां से पलायन कर भारत में आ कर शरण ले रहे है। पाइलर की इस रिपोर्ट के आने के बाद विश्व समुदाय और खासकर भारत को इस दिशा में कुछ ठोस करना होगा जिससे पाकिस्तान में अल्पसंख्यको की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके ।

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