Thursday, February 19, 2015

तुम्हे देखा है बहुत ,फिर भी बहुत कम देखा ..

शशांक द्विवेदी 
6 year of togetherness ... आज शादी को 6 साल पूरे हो गये ,लेकिन प्रियंका से दोस्ती -प्रेम को तो 11 साल हो गये ..इतना वक्त गुजर गया पता ही नहीं चला ..आगरा आया था इंजीनियरिंग की पढाई करने उसी दौरान पहले "प्रेम" हुआ फिर "विवाह " मतलब प्रेम -विवाह हो गया...काफी मुश्किलें आई लेकिन हो गया ...वैसे मेरा स्पष्ट मानना है कि संघर्ष के ,प्रेम के ,रोमांस के वे 5 साल काफी जबर्दस्त थे...काश वो दिन फिर से वापस आ जाए ... मेरी जिंदगी की कहानी पूरी फ़िल्मी है फर्क सिर्फ इतना है कि यहाँ के सभी पात्र वास्तविक है ....प्रियंका के प्रेम ने ही मुझे "लेखक "भी बना दिया ..सच कहूँ तो मै पत्थर था उसने ही मुझे तराश कर किसी काम का बना दिया ...मै जो कुछ भी हूँ उसमें उसका बहुत ज्यादा योगदान है .. .अमर उजाला ,आगरा से चली ये प्रेम कहानी तो फिलहाल जबर्दस्त तरीके से चल रही है ,उम्मीद करता हूँ कि आगे भी चलती रहेगी ..क्योंकि मुझे हमेशा से यही लगता है कि सिर्फ "प्रेम "ही आपको जोड़े रख सकता है ,विवाह तो एक पड़ाव भर है ..
प्रिया के लिए तो यही पंक्तियाँ याद आ रहीं है कि 

"तुमसा ना कोई हमदम देखा ,उड़ गये होश जवानी का वो आलम देखा ,तुम्हे देखकर जी भरता ही नहीं ,तुम्हे देखा है बहुत ,फिर भी बहुत कम देखा ..."

मै बहुत खुश नसीब हूँ कि मुझे प्रिया जैसी प्रेमिका और जीवन संगिनी मिली ,उसने मुझे बहुत खुशी और प्यार दिया ,हर कदम पर मेरा साथ देते हुए मेरा हौसला भी बढ़ाया ...प्रियंका को शादी की सालगिरह पर ढेरों शुभकामनाएँ.....ईश्वर से प्रार्थना है कि हमारे संबंधों की मजबूत डोर ऐसे ही बंधी रहें ...












हमारी भी लड़ाई होती है ...

कल किसी ने मेरी मैरिज एनिवर्सरी की पोस्ट पढ़ने के बाद एक सवाल किया कि क्या आपके और आपकी पत्नी के बीच भी लड़ाई होती है तो मैंने जवाब में कहा कि दुनियाँ में पति –पत्नी की शायद ही ऐसी कोई जोड़ी होती होगी जिनके बीच कभी भी लड़ाई –झगड़ा ,नोक झोंक ना होती हो .खैर मेरे और प्रिया के बीच भी कभी कभार यह सब हो जाता है . आखिर हम दोनों भी इंसान है ,आदर्श स्तिथि तो सिर्फ देवी –देवताओं में ही होती होगी .
हम दोनों के विचार बहुत भिन्न है कई मुद्दों पर मतभेद भी रहता है लेकिन विचारों की यही भिन्नता मुझे कई बार बहुत ठीक लगती है इससे किसी भी चीज के हर पहलू को समझने में मदत मिलती है .वैसे भी मेरा मानना है कि पति –पत्नी होने का मतलब यह नहीं है कि एक दूसरे की जी –हुजूरी करने लग जाएँ या गुलामी जैसा महसूस करें .सीधी सी बात है व्यक्तित्व भिन्न है तो विचार भी भिन्न ही होंगे .इसलिए बेहतर आपसी समझ बनाने की जरुरत होती है .
खाने के मामले में प्रियंका जहाँ बेहद सात्विक है मतलब वो लहसुन और प्याज बिल्कुल नहीं खाती ना ही उसके परिवार में कोई खाता वहीं मुझे ये बेहद पसंद है .प्रियंका के होते हुए घर में सभी सब्जियां बिना लहसुन और प्याज के ही बनती है ,सबसे खास बात यह है कि सब्जियां बेहद शानदार और टेस्टी बनती है और अब तो मुझे भी खूब पसंद आने लगी ..हाँ अब मै अलग से प्याज सलाद के साथ  में खा लेता हूँ . कई मामले ऐसे भी है जहाँ वो मेरी बात मानती है .करियर के मामले में जहाँ मै पूर्णकालिक तौर पर मीडिया में जाना चाहता था /चाहता हूँ लेकिन प्रियंका ने कभी जाने नहीं दिया उसने कहा पढाने के साथ लेखन करो वही ठीक है मीडिया में जाने की जरुरत नहीं है.. प्रिया ने अमर उजाला में कई साल काम किया इसलिए उसे मीडिया का अनुभव मुझसे कहीं ज्यादा है फिलहाल उसकी बात मानना ही मुझे ठीक लगा .मेरे अंदर ड्रेसिंग सेंस नहीं है प्रिया में है और आज की डेट में मेरे ८० फीसदी कपड़े प्रियंका ही खरीदती है .प्रियंका आम ठेठ भारतीय पत्नियों की तरह सिर्फ “यस मैन “ नहीं है बल्कि मेरे  अंदर या फिर मेरे किसी काम में उसे जो ठीक नहीं लगता उस पर वो बिना झिझक कर बोलती है .चाहे वो मुझे बुरा ही क्यों ना लगे ..बहुत मामलों में मेरी पहली आलोचक मेरी पत्नी ही है ..एक बात जरुर है कि मुझे कई बार शादी एक बंधन के रूप में भी दिखती है क्योंकि शादी के पहले भी मै ५ साल प्रिया के साथ रहा वहाँ मुझे बड़ी स्वतंत्रता महसूस होती थी लेकिन शादी के बाद बिना वजह बहुत सारे झंझट आ जाते है मसलन परिवार ,समाज ,रिश्तेदार..इन्हें खुश करो ,उन्हें खुश करो ...ज्यादातर नोंकझोक भी इन्ही बातों से होती है ..बेवजह के ढकोसलों से भी बहुत खीज और परेशानी होती है ...लेकिन फिर भी ये सब तो झेलना ही पड़ेगा भाई क्योंकि प्रेम विवाह की  कुछ कीमत तो चुकानी ही पड़ती है. लेकिन विचारों में थोड़ा बहुत मतभेद होते हुए भी हमारे बीच “प्रेम “ का गहरा अहसास है जो हमें हमेशा जोड़े रहता है और सच्चाई है कि सिर्फ “प्रेम “ में ही इतना सामर्थ्य है जो आपको जिंदगी भर जोड़े रख सकता है ...

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