शशांक द्विवेदी
कल किसी ने मेरी मैरिज एनिवर्सरी की पोस्ट पढ़ने के बाद एक सवाल किया
कि क्या आपके और आपकी पत्नी के बीच भी लड़ाई होती है तो मैंने जवाब में कहा कि
दुनियाँ में पति –पत्नी की शायद ही ऐसी कोई जोड़ी होती होगी जिनके बीच कभी भी लड़ाई –झगड़ा
,नोक झोंक ना होती हो .खैर मेरे और प्रिया के बीच भी कभी कभार यह सब हो जाता है . आखिर हम दोनों भी इंसान है ,आदर्श स्तिथि तो
सिर्फ देवी –देवताओं में ही होती होगी .
हम दोनों के विचार बहुत भिन्न है कई मुद्दों पर मतभेद भी रहता है
लेकिन विचारों की यही भिन्नता मुझे कई बार बहुत ठीक लगती है इससे किसी भी चीज के
हर पहलू को समझने में मदत मिलती है .वैसे भी मेरा मानना है कि पति –पत्नी होने का
मतलब यह नहीं है कि एक दूसरे की जी –हुजूरी करने लग जाएँ या गुलामी जैसा महसूस
करें .सीधी सी बात है व्यक्तित्व भिन्न है तो विचार भी भिन्न ही होंगे .इसलिए
बेहतर आपसी समझ बनाने की जरुरत होती है .
खाने के मामले में प्रियंका जहाँ बेहद सात्विक है मतलब वो लहसुन और
प्याज बिल्कुल नहीं खाती ना ही उसके परिवार में कोई खाता वहीं मुझे ये बेहद पसंद
है .प्रियंका के होते हुए घर में सभी सब्जियां बिना लहसुन और प्याज के ही बनती है
,सबसे खास बात यह है कि सब्जियां बेहद शानदार और टेस्टी बनती है और अब तो मुझे भी
खूब पसंद आने लगी ..हाँ अब मै अलग से प्याज सलाद के साथ में खा लेता हूँ . कई मामले ऐसे भी है जहाँ वो
मेरी बात मानती है .करियर के मामले में जहाँ मै पूर्णकालिक तौर पर मीडिया में जाना
चाहता था /चाहता हूँ लेकिन प्रियंका ने कभी जाने नहीं दिया उसने कहा पढाने के साथ
लेखन करो वही ठीक है मीडिया में जाने की जरुरत नहीं है.. प्रिया ने अमर उजाला में
कई साल काम किया इसलिए उसे मीडिया का अनुभव मुझसे कहीं ज्यादा है फिलहाल उसकी बात
मानना ही मुझे ठीक लगा .मेरे अंदर ड्रेसिंग सेंस नहीं है प्रिया में है और आज की
डेट में मेरे ८० फीसदी कपड़े प्रियंका ही खरीदती है .प्रियंका आम ठेठ भारतीय
पत्नियों की तरह सिर्फ “यस मैन “ नहीं है बल्कि मेरे अंदर या फिर मेरे किसी काम में उसे जो ठीक नहीं
लगता उस पर वो बिना झिझक कर बोलती है .चाहे वो मुझे बुरा ही क्यों ना लगे ..बहुत
मामलों में मेरी पहली आलोचक मेरी पत्नी ही है ..एक बात जरुर है कि मुझे कई बार
शादी एक बंधन के रूप में भी दिखती है क्योंकि शादी के पहले भी मै ५ साल प्रिया के
साथ रहा वहाँ मुझे बड़ी स्वतंत्रता महसूस होती थी लेकिन शादी के बाद बिना वजह बहुत
सारे झंझट आ जाते है मसलन परिवार ,समाज ,रिश्तेदार..इन्हें खुश करो ,उन्हें खुश
करो ...ज्यादातर नोंकझोक भी इन्ही बातों से होती है ..बेवजह के ढकोसलों से भी बहुत
खीज और परेशानी होती है ...लेकिन फिर भी ये सब तो झेलना ही पड़ेगा भाई क्योंकि
प्रेम विवाह की कुछ कीमत तो चुकानी ही
पड़ती है. लेकिन विचारों में थोड़ा बहुत मतभेद होते हुए भी हमारे बीच “प्रेम “ का
गहरा अहसास है जो हमें हमेशा जोड़े रहता है और सच्चाई है कि सिर्फ “प्रेम “ में ही
इतना सामर्थ्य है जो आपको जिंदगी भर जोड़े रख सकता है .
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