Tuesday, April 16, 2013

पापा पर एक कविता


पापा आप हो सबसे ख़ास !!!

इंदु सिंह (Indu Singh)

पापा कभी गले नहीं लगाते कभी प्यार नहीं जताते
पापा कभी पसंद नहीं पूछते फिर भी हर पसंद की
चीज़ बिन कहे ही ला देते हैं ,जाने कैसे।
बात करना उन्हें पसंद नहीं चुप ही रहते हैं अक्सर
मन की सारी बातें फिर भी जान जाते हैं मन से
बिन कहे सब कह जाते हैं,जाने कैसे।
पापा कुछ सख्त सी दूरियाँ रखते हैं हमारे साथ
पर किसी और की सख्ती मंज़ूर नहीं उन्हें
अपने इस प्रेम को सख्ती से छुपाते हैं,जाने कैसे।
फर्क नहीं उन्हें हम दूर हों या पास या कि किसके साथ
जबकि फर्क है उन्हें हम कहाँ हैं और हैं किसके साथ
कहते नहीं जताते भी नहीं छुपाते हैं जज़्बात,जाने कैसे।
पापा कभी रोते नहीं कभी रोये भी नहीं मेरी विदाई में भी नहीं
खूब रोये थे विदा होते ही ज़ोर ज़ोंर से सब बताते हैं आज भी
आँसुओं के असीम सागर को सदा ही छुपाते हैं,जाने कैसे।
उठ कर चले जाते हैं जब भी कोई बात होती है भावुक सी
कह देते हैं फ़ालतू बातें करती हो तुम सभी
अपनी भावनाओं को कभी बहने नहीं देते ,जाने कैसे।
पापा का जीवन हूँ मै और मेरा सब कुछ वो
न कभी कहते हैं खुद, न कभी मुझे कहने देते हैं
जब भी कहना चाहूँ बात बदल दते हैं ,जाने कैसे।
पर आज कहती हूँ, न रोक सकेंगे आप मेरी आवाज़
मेरे जज़्बात, मेरे पापा आप हो सबसे ख़ास !!!

1 comment:

  1. बहुत-बहुत धन्यवाद आप का, हमारे ह्रदय के भाव आपके ह्रदय तक पंहुच सके सौभाग्य है हमारा।

    सादर

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