शशांक द्विवेदी
मै खुर्शीद अनवर को व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानता ,मुझे यह भी नहीं पता कि जो आरोप उन पर लगे है वो सही है या गलत ,लेकिन मै इतना जानता हूँ कि जनसत्ता में उनके लेख मुझे बहुत पसंद थे ..उनकी फ़ेसबुक पोस्ट शानदार रहती थी ..बेहतरीन सोच वाले व्यक्ति लगते थे ..आज उनकी आत्महत्या की खबर से मुझे दुःख हुआ क्योंकि सोशल मीडिया और मीडिया ट्रायल ने उनको अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया ,उनको जबरदस्ती "बलात्कारी " घोषित कर दिया .गया ...इस पर एक मशहूर गजल की एक पंक्ति याद आती है "मुझको पहले सजा दी गयी फिर अदालत में लाया गया "
उनकी मौत ने प्रगतिशील लोगों पर और न्याय के बेसिक सिद्धांत पर कई सवाल खड़े किये है ..जो भी हुआ वो ठीक नहीं हुआ ,बेहद अफसोसजनक ..खुर्शीद अनवर को मेरी तरफ से विनम्र श्रधांजली ..
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