Wednesday, March 6, 2019

कैंसर मरीजों के भगवान हैं डॉ येशी

कैंसर मरीजों के भगवान हैं 'शरणार्थी' डॉ. येशी, तिब्बती पद्धति से करते हैं इलाज, देश-विदेश से जुटती है भीड़ #टटकाखबर

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में डॉ. येशी धोंडेन जानलेवा कैंसर का तिब्बती चिकित्सा पद्धति से इलाज करते हैं। शहर में स्थित उनके तिब्बती हर्बल क्लिनिक पर कैंसर मरीजों की भारी भीड़ जुटती है। यहां कैंसर से पीड़ित लोगों को बहुत ही कम खर्च में दवाइयां दी जाती हैं। इस वजह से तिब्बती हर्बल क्लिनिक पर हर रोज सुबह 5 बजे से ही ट्रीटमेंट कराने आए मरीजों की लंबी लाइन लगती है। डॉ. येशी की इस क्लिनिक में देश ही नहीं विदेशों से भी मरीज अपना इलाज कराने आते हैं। येशी बहुत ही कम पैसे में मरीजों को एक महीने की दवा उपलब्ध कराते हैं।

डॉ. येशी तिब्बत के लोका क्षेत्र के मूलनिवासी हैं। उनका परिवार तिब्बत की बहुप्रचलित चिकित्सा के लिए जाना जाता है। उन्होंने 20 साल की उम्र में ही इस चिकित्सा का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया था। भारत में निर्वासन का जीवन व्यतीत कर रहे येशी 14वें दलाई लामा के निजी चिकित्सक भी रह चुके हैं। उन्होंने साल 1961 से 1980 तक दलाई लामा की निजी चिकित्सा की थी। उन्हीं की देख-रेख में इन्होंने धर्मशाला में तिब्बतियन मेडिकल ऐंड ऐस्ट्रो इंस्टिट्यूट की स्थापना कर इस पद्धति को आगे बढ़ाया। दलाई लामा के साथ रहते हुए येशी ने तिब्बती चिकित्सा पद्धति में शोध करने के अलावा कैंसर जैसे असाध्य रोग के उपचार में भी प्रवीणता हासिल की।

तिब्बतियन मेडिकल ऐंड ऐस्ट्रो इंस्टिट्यूट से रिटायर होने के बाद डॉ. येशी धोंडेन ने साल 1980 में मैक्लोडगंज में तिब्बतियन हर्बल क्लिनिक से निजी क्लिनिक की शुरूआत की। यहां वह रोगी के पेशाब और नब्ज का अध्ययन कर उनके रोगों की जांच कर तिब्बती आयुर्वेदिक दवाइयां देते हैं। वह 23 मार्च 1961 को तिब्बत से भारत में शरणार्थी बनकर आए थे। उनके क्लिनिक में ट्रीटमेंट कराने के लिए आए मरीज टोकन लेने के लिए सुबह 5 बजे से ही लाइन लगाते हैं। टोकन मिलने के तीन दिन बाद डॉक्टर येशी मरीज से मिलते हैं। वह एक दिन में केवल 45 मरीजों की ही जांच करते हैं।

93 वर्षीय डॉ. येशी धोंडेन द्वारा किए गए शोधपत्रों को दुनिया की सबसे बेहतर मॉर्डन मेडिकल साइंस, अमेरिका के वैज्ञानिकों ने भी मान्यता दी है। बौद्ध भिक्षु डॉ. येशी को भारत सरकार ने उनकी तिब्बती आयुर्वेद पद्धति में हासिल की गई उपलब्धियों के चलते पदमश्री पुरस्कार सम्मानित किया गया है।

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