Saturday, April 13, 2019

यूरिक एसिड से संबंधित भ्रांतियों को दूर करिये

स्कंद शुक्ला

साधो , तुम्हें 'गाउट' है। गाउट नहीं समझते ? यूरिक एसिड वाला गठिया-रोग !

यूरिक एसिड के कारण होने वाला गठिया 'गाउट' के नाम से जाना जाता है।
साधो , समस्या यही है। लोग यूरिक एसिड को ज़्यादा जानते हैं और गाउट को कम। इसी लिए चारों ओर यह अन्धेर फैला है। कारक के बारे में जब लोगों को अधिक पता होगा और परिणति के बारे में कम , तो ऐसे ही तमाशे होंगे।
साधो , तुम्हारे पुराने वाले डॉक्टर साहब ने तुमसे प्रोटीन बन्द करने को कहा है ; उनका मानना है कि अगर प्रोटीन खाओगे तो यूरिक एसिड बढ़ जाएगा। इसलिए तुमने हर तरह के प्रोटीन-समृद्ध भोज्य का सेवन त्याग दिया है। प्रोटीन की वृद्धि रोकने के लिए तुमने अपने पुराने डॉक्टर साहब के साथ कमर कस ली है।
साधो , प्रोटीन के पीछे डण्डा लेकर क्यों पड़े हैं , तुम और तुम्हारे डॉक्टर साहब ! असली मुजरिम तो कोई और है ! वह जिसे न तुम्हारे डॉक्टर साहब देखते हैं और न तुम्हें दिखाते हैं। बिलावजह दाल-दूध-अण्डा --- सब के लिए तुम्हारी जीभ पर पहरा बिठा दिया है !
उनसे कहो कि एम.बी.बी.एस प्रथम वर्ष में पढ़ कर धर दी बायोकेमिस्ट्री की पाठ्यपुस्तक दोबारा खोलें और उसमें यूरिक एसिड के निर्माण-चक्र को फिर से पढ़ें। सम्भवतः बहुत सी अच्छी पुरानी बातों के तरह उन्होंने उसे भी बिसरा दिया है। यूरिक एसिड-निर्माण का तो प्रोटीन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है।
साधो , यूरिक एसिड एक अपशिष्ट है शरीर का --- एक प्रकार का मल , जो शरीर मुख्य रूप से पेशाब में बाहर निकालता है। यह प्रोटीन से नहीं , बल्कि प्यूरीन (डी.एन.ए. और आर.एन.ए.) के विखण्डन के फलस्वरूप बनता है। प्यूरीन ही यूरिक एसिड के निर्माण की कच्ची सामग्री हैं , कोई प्रोटीन-वोटीन नहीं।
अब तुम प्यूरीन के विषय में जानते ही नहीं और तुम्हारे पुराने डॉक्टर साहब को बायोकेमिस्ट्री अब याद नहीं रही। इसलिए वे प्रोटीन-परहेज़ की माला फेर रहे हैं और तुम्हें भी फेरने को कह रहे हैं। जब चिकित्सा लेने व देने वाले दोनों ही पढ़ाई-लिखाई में कमज़ोर होंगे , तो ऐसी ही भ्रान्तियाँ तो पैदा होंगी न !
साधो , गाउट नामक गठिया-रोग शरीर में यूरिक एसिड के अधिक पैदा होने से अथवा पेशाब में कम निकाले जाने से उत्पन्न होता है। ज़्यादा विस्तार में नहीं जाऊँगा , लेकिन इतना तो जानो ही कि इस रोग का मुख्य लक्षण किसी ख़ास जोड़ में ( विशेषकर पैर के अँगूठे , टखने अथवा घुटने में ) भयंकर दर्द व सूजन है। सूजन भी ऐसी कि जोड़ के ऊपर की खाल लाल नज़र आने लगती है।
गाउट नामक इस गठिया का दर्द कोई ऐसा-वैसा दर्द नहीं है। मेडिकल पाठ्यपुस्तकों में सबसे भीषण दर्दों --- प्रसवपीड़ा , हृदयाघात और दाँत-दर्द के साथ गाउट का नाम आता है। अब तुम समझ सकते हो कि मैं किस शिद्दत के दर्द की बात यहाँ कर रहा हूँ।
साधो , गाउट का उपचार तुम्हें नहीं बताऊँगा , नहीं तो तुम नीम-हक़ीमी करने लगोगे। लेकिन कुछ करणीय-अकरणीय बातों से अवश्य अवगत कराऊँगा।
गाउट में पानी का 2-3 लीटर सेवन लाभप्रद रहता है। यह पानी जो तुम पीते हो न , पेशाब बनकर यूरिक एसिड के उत्सर्जन में मदद करता है। मांस और मदिरा से यथासम्भव दूर रहो। ये दोनों वस्तुएँ शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ाती हैं। और हाँ ! फैंटा-पेप्सी-कोका कोला को भी नमस्ते कर लो , इनसे भी यह बढ़ता है।
दाल और दूध छोड़ने की बात मत करो , उन्हें खाते रहो। प्रोटीन का ढंग से सेवन ज़रूरी है , सभी के लिए। ( कोई गुर्दा-रोगी हो , तो बात अलग है !) नींबू / सन्तरा / मौसमी /आँवला खाओ , इनमें मौजूद विटामिन सी यूरिक एसिड की मात्रा नीचे रखने में सहायक है।
और फिर सबसे महत्त्वपूर्ण बात , साधो --- अपने तोंद छाँटो ! मोठे लोगों का तो यूरिक एसिड बढ़ा हुआ आएगा ही , यह तो एक वैज्ञानिक सत्य है ! मक्कारी -कामचोरी बन्द करो , कसरत करो , पसीना बहाओ !
और अन्त में ! अपने डॉक्टर साहब से ऊपर लिखी सभी बातों पर चर्चा करो , मगर ख़ुद बिना डिग्री के डॉक्टर न बनो। जिस मेडिकल साइंस को समझने में हमें पन्द्रह साल भी कम जान पड़े , उसे हम तुम्हें एक फ़ेसबुकिया लेख में नहीं समझा सकते।
लेकिन यूरिक एसिड प्रोटीन खाने से नहीं बनता , यह एक जैवरासायनिक सत्य है। इसे जानो , मानो और अपने डॉक्टर साहब को याद दिलाओ।

No comments:

Post a Comment