Sunday, April 28, 2019

NPS के बारे में सभी जरूरी जानकारी

NPS यानी 60 के बाद नो टेंशन
A to Z about National Pension System

क्या आपने कभी सोचा है कि 60 साल की उम्र के बाद जिंदगी की जरूरतों के लिए आप पैसे कहां से लाएंगे क्योंकि तब तक तो आप रिटायर हो चुके होंगे? अगर आपके पास इसका कोई जवाब नहीं है तो हमारे पास आपके लिए एक ऑप्शन है नैशनल पेंशन सिस्टम (NPS) का। NPS में निवेश और रिटर्न के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं राजेश भारती

क्या है NPS
नैशनल पेंशन सिस्टम (NPS) पैसों का वह पेड़ है जिस पर रिटायरमेंट या 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद पैसे लगते रहते हैं और जिसे आप जॉब के दिनों में रोपते और सींचते हैं। अच्छी बात यह है कि इस दौरान यह आपका टैक्स भी बचाता रहता है। यह इन्वेस्टमेंट का एक टूल है जिसमें बैंकों के जरिए आप अपना पैसा जमा करते हैं और बैंक से जुड़े NPS फंड मैनेजर जोखिम उठाने की आपकी क्षमता के अनुसार अलग-अलग स्कीम में निवेश करते हैं। अगर आपको मार्केट की जानकारी है तो बिना फंड मैनेजर के आप खुद भी NPS अकाउंट को ऑपरेट कर सकते हैं। रिटायर होने पर या 60 साल की उम्र के बाद जमा रकम में से आपको बीमा कंपनियों से एन्युटी खरीदनी होती है और इसी से आपको पेंशन मिलती है। शुरू में इसका फायदा सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को मिलता था, लेकिन अब न केवल प्राइवेट जॉब करने वाले बल्कि बिजनेस या दूसरे तरीके से अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले भी इसका फायदा उठा सकता है। इस स्कीम में शामिल होने की उम्र 18 से 60 साल के बीच है। और हां, कोई व्यक्ति सिर्फ एक ही एनपीएस अकाउंट खोल सकता है।

फंड मैनेजर कौन
फंड मैनेजर आपकी जमा रकम को बेहतर ढंग से इन्वेस्ट करते हैं ताकि आपको ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिल सके। NPS अकाउंट खुलवाने के दौरान ही आपको इसका चयन करना होता है। सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त 8 फंड मैनेजर हैं। इनकी नियुक्ति पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) की ओर से की जाती है। ये हैं:
1. HDFC Pension Management Co. Ltd.
2. Reliance Capital Pension Fund Ltd.
3. UTI Retirement Solutions Ltd.
4. Kotak Mahindra Pension Fund Ltd.
5. LIC Pension Fund Ltd.
6. SBI Pension Funds Pvt. Ltd.
7. ICICI Prudential Pension Fund Management Company Ltd.
8. Birla Sun Life Pension Management Ltd.

फंड मैनेजर ऐसे चुनें
फंड मैनेजर के कारण ही आपका पैसा बढ़ता है और बाद में अच्छा रिटर्न मिलता है। ऐसे में जरूरी है कि आप एक बेहतर फंड मैनेजर चुनें। फंड मैनेजर चुनते समय इन बातों का ध्यान रखें:

रिटर्न देखें: उस फंड मैनेजर का चुनाव करें जिसने अब तक बेहतर रिटर्न दिलाया है। इसकी पूरी जानकारी आप npstrust.org.in/return-of-nps-scheme से ले सकते हैं।

AMU पता लगाएं: Assets under management (AUM) का मतलब फंड हाउस की उस रकम से होता है जो लोगों ने निवेश की होती है। यह वैल्यू जितनी अधिक होगी, फंड मैनेजर की ओर से रिटर्न मिलने की उम्मीद उतनी ही बेहतर होती है। इसके लिए आप सभी फंड मैनेजरों की वेबसाइट पर जाकर चेक करें।

बदल सकते हैं फंड मैनेजर: NPS खाते में जो रकम जमा की जाती है, उस पर रिटर्न मिलता है। यह रिटर्न फिक्स्ड नहीं होता और निर्भर करता है कि आपका फंड मैनेजर आपका पैसा किस योजना में लगा रहा है। अगर आपका फंड मैनेजर अच्छा रिटर्न नहीं दिलवा पा रहा है तो आप उसे साल में एक बार बदल भी सकते हैं।

क्या है एन्युटी
NPS के पूरी होने के बाद आपके पास जो रकम जमा हो जाती है, उसमें से कम से कम 40% पैसा आपको बीमा कंपनी को देना होता है। बीमा कंपनी इस पैसे से आपकी पेंशन शुरू करती है। पेंशन के लिए बीमा कंपनी की दी जाने वाली रकम ही एन्युटी कहलाती है। एन्युटी से पेंशन के लिए आपको इन 5 कंपनियों में से किसी एक को चुनना पड़ता है:
1. HDFC Standard Life Insurance Company Ltd.
2. Star Union Dai-Chi Life Insurance Company Ltd.
3. Life Insurance Corporation of India Ltd.
4. ICICI Prudential Life Insurance Company Ltd.
5. SBI Life Insurance Company Ltd.

जरूरत के हिसाब से चार तरह के अकाउंट
केंद्रीय कर्मचारी: इसे केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय कर्मचारियों के लिए खोला जाता है। सरकार की ओर से 14% और सैलरी (बेसिक+DA) का 10% NPS में जमा किया जाता है।
राज्य सरकारी कर्मचारी: जहां राज्य सरकारों ने PNS की सुविधा दे रखी है, वहां कर्मचारियों की सैलरी (बेसिक+DA) का अधिकतम 10% NPS अकाउंट में जमा किया जाता है।
कॉर्पोरेट सेक्टर: इसे प्राइवेट कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए खोलती हैं। इसमें कंपनियां कर्मचारी की सैलरी (बेसिक) का अधिकतम 10% NPS अकाउंट में जमा कराती हैं।
ऑल सिटिजन्स मॉडल: इसमें बिजनेसमैन, स्वरोजगार करने वाले लोग आते हैं। इस सेक्टर में आने वाले लोगों को ऑनलाइन या बैंक जाकर NPS अकाउंट खुलवाना होता है। वे इसमें कितनी भी रकम जमा करा सकते हैं। अगर आप किसी कंपनी में जॉब करते हैं तो कंपनी की ओर से जमा कराई रकम के अतिरिक्त आप खुद से भी पैसा NPS अकाउंट में जमा करा सकते हैं। साथ ही अगर कंपनी में NPS की सुविधा नहीं है तो आप इस मॉडल के तहत अकाउंट खुलवा सकते हैं।

पोर्टेबल है अकाउंट
NPS अकाउंट पूरी तरह पोर्टेबल है। हर ग्राहक को 12 अंकों का एक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (PRAN) दिया जाता है। जॉब बदलने पर PRAN को नई कंपनी की सैलरी से जोड़ सकते हैं। इसके लिए कंपनी के एचआर से बात करें। अगर नई कंपनी में NPS की सुविधा नहीं है तो इसे व्यक्तिगत (ऑल सिटिजन्स मॉडल) रूप से ऑपरेट कर सकते हैं। वहीं अगर आप जॉब पूरी तरह छोड़ देते हैं तो आपको व्यक्तिगत रूप से अकाउंट चलाना होगा।

ऐसे खुलवाएं अकाउंट
एनपीएस में दो तरह के अकाउंट होते हैं। पहला टियर-1 और दूसरा टियर-2 है। NPS के लिए सरकार ने देश के लगभग सभी सरकारी और कुछ प्राइवेट बैंकों में पॉइंट ऑफ प्रजेंस (पीओपी) बनाए हैं। नजदीकी बैंक ब्रांच में जाकर NPS अकाउंट खुलवाया जा सकता है। अपने नजदीकी पीओपी जानने के लिए वेबसाइट www.npscra.nsdl.co.in/pop-sp.php पर जा सकते हैं। अकाउंट ऑनलाइन भी खुलवा सकते हैं।

यह है टीयर 1 और टीयर 2 में फर्क
टीयर 1: NPS स्कीम में शामिल होने के लिए यह अकाउंट खुलवाना अनिवार्य है। इस अकाउंट को पेंशन अकाउंट भी कहते हैं। इसे 500 रुपये से खोला जा सकता है। साल में कम से कम 1 हजार रुपये जमा करने होते हैं। इसमें 60 साल या रिटायरमेंट की उम्र तक पैसा जमा करना होता है। जमा पैसे को रिटायरमेंट के बाद ही निकाला जा सकता है। इस अकाउंट में जो जमा करते हैं उस पर टैक्स में छूट मिलती है।
टीयर 2: इस अकाउंट को वही व्यक्ति खुलवा सकता है जिसका टीयर 1 अकाउंट है। इसमें व्यक्तिगत रूप में कितना भी पैसा जमा किया जा सकता है। इस अकाउंट से पेंशन का कोई लेनादेना नहीं होता। इसमें जमा पैसा म्यूचुअल फंड्स में लगाया जाता है और इस पैसे को कभी भी निकाला जा सकता है। टीयर 2 अकाउंट में जमा या निकाले गए पैसे पर टैक्स देना होता है। इस अकाउंट का फायदा है कि टीयर 1 अकाउंट होल्डर बिना डीमैट अकाउंट खुलवाए टीयर 2 से पैसा म्यूचुअल फंड में लगा सकता है। टीयर 2 से पैसा बैंक खाते में आने में डीमैट की अपेक्षा कम समय लगता है।
(*बेटी की शादी, गृह निर्माण, बीमारी, शिक्षा जैसे कुछ जरूरी काम के लिए सबूत दिखाकर 25% तक राशि निकाले सकते हैं)

पैसा निकालने की ये भी हैं कुछ शर्तेंः
3 साल बाद ही पैसा निकाल सकते हैं NPS अकाउंट खोलने के बाद
60 साल या रिटायरमेंट तक कुल तीन बार ही पैसा निकालने की अनुमति

इतना मिलता है टैक्स में फायदा
आप एनपीएस में कितना भी पैसा जमा कर सकते हैं, लेकिन इनकम टैक्स छूट की कुछ सीमाएं हैं। इसे ऐसे समझें:
- टैक्स में छूट टियर 1 अकाउंट में ही मिलती है।
- NPS के तहत धारा 80C के अंतर्गत आप साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश पर टैक्स में छूट ले सकते हैं।
- कंपनी की ओर से NPS में आपकी बेसिक सैलरी का अधिकतम 10% हिस्सा जमा कराया जा सकता है। यह 80CCD(2) के तहत पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है। यह छूट 80C के अतिरिक्त है। अगर आप इसके अतिरिक्त कुछ रकम NPS मे जमा कराते हैं, तो उस पर आपको धारा 80CCD(1B) के तहत अधिकतम 50 हजार रुपये तक के निवेश पर अतिरिक्त छूट मिलती है।
- ऑल सिटिजंस मॉडल के तहत आने वाले लोग 80C के तहत अधिकतम 50 हजार रुपये तक के निवेश पर छूट का लाभ ले सकते हैं।

जानें, रिटायरमेंट के बाद क्या मिलेगा
रिटायरमेंट या 60 साल की उम्र के बाद आप NPS में जमा रकम का अधिकतम 60% हिस्सा कैश निकाल सकते हैं। यह टैक्स फ्री होता है। बाकी 40% रकम की एन्युटी लेनी होती है। इस पर टैक्स देना पड़ता है। एन्युटी वह रकम होती है जिसमें से आपको पेंशन मिलेगी। आप कितने समय के लिए पेंशन लेना चाहते हैं, इसकी जानकारी उस बैंक और बीमा कंपनी को देनी होती है जहां आपने अकाउंट खुलवा रखा है। जितने समय के लिए आप एन्युटी लेना चाहते हैं, उतने समय तक आपको पेंशन मिलती है। हालांकि पेंशन, रकम निकालने, नॉमिनी आदि से संबंधित कई फैसले आप खुद ले सकते हैं। इसकी कुछ शर्तें होती हैं जो इस प्रकार हैं:

आॅप्शन-1: जिंदगीभर सालाना 9% की दर से पेंशन मिलती रहेगी। पेंशनभोगी के न रहने पर पेंशन की बची रकम किसी को नहीं दी जाएगी।

आॅप्शन-2: रिटायरमेंट के 5, 10, 15 या 20 साल तक 9% की दर से पेंशन ली जा सकती है। इसके बाद पेंशनभोगी जिंदगीभर 8.5% की दर से पेंशन ले सकेंगे।

आॅप्शन-3: अगर पेंशनभाेगी चाहता है कि उसके न रहने पर पेंशन की बची रकम नॉमिनी को दी जाए तो पेंशनभोगी को पेंशन 6.80% की दर से मिलेगी।

(नोट: यह दर मौजूदा समय के अनुसार एक बीमा कंपनी की हैं। रिटायरमेंट के समय इन दरों में बदलाव संभव है। साथ ही एन्युटी की दर बीमा कंपनी के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।)

EPS के तहत भी मिलती है पेंशन
किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब करने वाले एम्प्लॉई को कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत भी पेंशन मिलती है। इस योजना के अंतर्गत एम्प्लॉई की बेसिक सैलरी का 12% EPF में जमा किया जाता है। इसमें से 8.33% कंपनी की ओर से EPS खाते में जमा किया जाता है। यह रकम कर्मचारी के 58 साल की आयु हो जाने पर पेंशन के रूप में दी जाती है। EPS का लाभ लेने के लिए EPF में कम से कम 10 साल तक पैसा जमा जरूर होना चाहिए। अगर आप कंपनी बदलते हैं, तो अपना पीएफ अकाउंट नई कंपनी में ट्रांसफर करा लें।

एक्सपर्ट पैनल
चिन्मय समाजदार, इंडस्ट्री प्रफेशनल
अर्चित गुप्ता, फाउंडर और सीईओ, क्लियर टैक्स
राहुल त्यागी, एरिया सेल्स मैनेजर (दिल्ली-नोएडा), एचडीएफसी सिक्योरिटीज
साभार नवभारत टाइम्स

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