पिछले दिनों पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक की भारत यात्रा के
दौरान भी भारत सरकार ने पाकिस्तान में
ध्वस्त हुए 100 साल पुराने मंदिर और 40 हिंदू परिवार के पलायन का मुद्दा नहीं उठाया .जबकि वहाँ पर हिंदू आबादी 75 लाख से घटाकर 18 लाख हो
गयी है और लगभग सभी प्रमुख मंदिर ध्वस्त कर दिए गए . रहमान मलिक मुंबई हमले की
तुलना बाबरी मस्जिद कर गए और अबू जिंदाल को रा का ही एजेंट बता दिया .उन्होंने
भारत में खूब विवादास्पद बयांन दिए .लेकिन भारत बैकफुट पर ही रहा .पाकिस्तान में
ध्वस्त मंदिर के मुद्दे पर विहिप ,संघ और
भाजपा के कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तानी हाई कमीशन और अजमेर में पाकिस्तान के संसदीय
प्रतिनिधिमंडल को रोक कर ज्ञापन दिया .मै यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि क्या ये
मुद्दा विहिप ,संघ या भाजपा का है ?क्या इस मुद्दे पर भारत की केंद्रीय
सरकार को कोई राजनयिक पहल नहीं करनी चाहिए ?आज देश में ऐसे हालात हो गए है कि जो हिंदुओं की बात करता है उसे सांप्रदायिक समझा
जाता है .यही वजह है कि पाकिस्तानी हिंदुओं से जुड़े इस मुद्दे को केंद्र सरकार
गंभीरता से नहीं ले रही है. क्या ये तुष्टीकरण की राजनीति नहीं है ? क्या
पाकिस्तानी हिन्दुओ को उनके हाल पर ही छोड़ देना चाहिए ?ये कुछ ऐसे सवाल है जिनका
जवाब देश चाहता है .
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