Sunday, December 9, 2012

दलित चिंतकों का पाखंड

हमारे देश में आजकल कुछ तथाकथित दलित चिंतक हो गए है जिनका दलितों से कोई सारोकार नहीं है ..वास्तव में ये दलित चिन्तक शब्द ही सबसे बड़ा छलावा है दलितों के साथ ...आप देख लीजिए ना देश के एक प्रमुख तथाकथित दलित चिन्तक दिलीप मंडल जी इंडिया टूडे में बैठकर सेक्स सर्वे छाप रहें है ....उसका कवर पेज ऐसा है कि वो खुद भी या कोई भी अपने घर में माँ ,बहनों को नहीं दिखा सकता ...ये उपलब्धि है इन दलित चिंतकों की ..प
हले कारपोरेट मीडिया को गाली देते थे अब उसी की गोद में बैठकर सेक्स सर्वे करा रहें है ...वाह रे वाह ...ये है इस देश के दलित चिन्तक ....ये क्या दिशा देंगे दलितों को जो ए सी आफिस में बैठकर सेक्स सर्वे "उभार की सनक "और छोटे शहर बने देश के काम क्षेत्र " छाप रहें है ...इन लोगों की रूचि अब सिर्फ" काम" रह गई है ..अब इन्हें दलितों के कामों से कोई मतलब नहीं है ...वो तो बस मन बहलाने और बेवकूफ बनाने के लिए है ...

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