Saturday, July 13, 2019

सही खाना क्या है?भोजन और पोषण दोनों अलग चीजें हैं !!

खाना सही तो बीमारी नहीं
Complete Nutrition Guide

तनदुरुस्त रहने के लिए हमारे भोजन में विटामिन्स और मिनरल्स का सही मात्रा में सेवन बहुत जरूरी है। इनकी कमी जहां कई तरह की बीमारियों को जन्म दे सकती है, वहीं इनकी अधिकता भी समस्या की वजह बन सकती है। विटामिन्स और मिनरल्स की जरूरत, सही मात्रा, इनके सोर्स और इनसे जुड़ी समस्याओं पर एक्सपर्ट्स से बात करके पूरी जानकारी दे रही हैं अनु जैन रोहतगी

केस 1
32 साल के आनंद पिछले काफी समय से कमर के निचले हिस्से में दर्द से परेशान थे। दर्द कमर से शुरू होकर घुटनों तक पहुंच जाता था। उन्हें चलने में भी दिक्कत आने लगी। आनंद को खून की भी कमी बताई गई। डॉक्टरों ने कई तरह की जांच करवाईं। किसी ने मांसपेशियों में खिंचाव बताकर तमाम टेस्ट करवा दिए, तो किसी डॉक्टर ने स्लिप डिस्क की समस्या बताकर सर्जरी कराने की सलाह दे डाली, लेकिन किसी को भी उनकी असल समस्या का पता नहीं चला। महीनों बाद आखिरकार एक डॉक्टर को लगा कि उनकी समस्या कुछ और है। उन्होंने विटामिन्स का लेवल चेक करने के लिए टेस्ट करवाए। रिजल्ट चौंकाने वाला था। आनंद विटामिन बी-12 की जबरदस्त कमी से जूझ रहे थे। इससे उनके शरीर में खून कम बन रहा था और न्यूरोलॉजिकल समस्या भी पैदा हो गई थी। डॉक्टर ने आनंद को पहले विटामिन बी-12 के इंजेक्शन दिए, फिर गोलियां खाने को दीं। 2 महीने में ही आनंद का दर्द और एनीमिया बिलकुल ठीक हो गया।

केस 2
35 साल की रेखा की सेहत पिछले काफी समय से खराब चल रही थी। उनके शरीर, खासकर जोड़ों में बहुत दर्द रहने लगा था। वह हमेशा थकान महसूस करती थीं और उन्हें चलने में भी परेशानी होती थी। काफी जांच और इलाज के बाद भी रेखा की हालत में कोई सुधार नहीं आया। आखिरकार इलाज के लिए उन्हें दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में लाया गया। लक्षणों के आधार पर डॉक्टरों ने हड्डियों, मांसपेशियों से संबंधित कई टेस्ट के साथ विटामिन-डी की कमी का भी टेस्ट करवाया। पता चला कि रेखा के अंदर विटामिन-डी की कमी थी। रेखा को विटामिन-डी के साथ कैल्शियम की गोलियां दी गईं और सही डायट लेने को कहा गया। 2 महीने में ही उनकी हालत में 70 फीसदी तक सुधार आ गया। विटामिन-डी की खुराक लंबी चली और वह पूरी तरह से ठीक हो गईं।

केस 3
12 साल का रमन लगातार थकावट, भूख कम लगने और वजन कम होने की समस्या से परेशान था। डॉक्टर ने टेस्ट कराए। रमन के खून में विटामिन-डी की मात्रा बहुत ज्यादा पाईं। रमन को पहले विटामिन-डी की कमी थी इसलिए डॉक्टर ने उसे विटामिन-डी का सप्लिमेंट लेने को कहा था। पैरंट्स ने उसे फिर डॉक्टर को नहीं दिखाया और विटामिन-डी की खुराक चलती रही, जो रमन के लिए घातक बन गई। दरअसल, विटामिन-डी पानी में घुलता नहीं है। अगर यह ज्यादा मात्रा में शरीर में आने लगे तो टिशू में जमा होने लगता है और फिर समस्याएं पैदा करता है। डॉक्टरों ने रमन की विटामिन-डी की डोज बंद करा दी। लगभग 2 महीने में रमन के खून में विटामिन-डी की मात्रा सामान्य हुई और वह नॉर्मल हो पाया। गनीमत थी कि विटामिन-डी के ज्यादा होने की वजह से रमन के दिल और किडनी में कैल्शियम ज्यादा जमा नहीं हुआ। अगर ऐसा हुआ होता तो बड़ी परेशानी पैदा हो सकती थी।

इन तीनों मामलों से साफ है कि विटामिन्स की कमी अगर आपको परेशान कर सकती है तो इसकी अधिकता भी कम खतरनाक नहीं है। दरअसल, हमारे शरीर को सही और संतुलित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट के अलावा विटामिन्स और मिनरल्स की जरूरत होती है। संतुलित खाने के अलावा रेग्युलर एक्सरसाइज भी जरूरी है क्योंकि इससे भी शरीर को खाने से मिलने वाले पोषण को जज्ब करने में मदद मिलती है।

शरीर के लिए जरूरी हैं ये
- कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर को एनर्जी देते हैं जिसकी बदौलत हम कोई भी काम कर पाते हैं। ये हमारे खाने का सबसे अहम हिस्सा हैं। सब्जियों और फलों से मिलने वाले कार्ब को सबसे बेहतर माना जाता है।

- प्रोटीन को बॉडी बिल्डिंग ब्लॉक्स भी कहा जाता है। ये हमारे शरीर में टिश्यूज को बनने में मदद करते हैं। हमारी हड्डियों और दांतों का मुख्य स्रोत प्रोटीन ही है।

- फैट शरीर को एनर्जी देने के साथ-साथ शरीर में कुछ विटामिन्स को जज्ब करने में भी मदद करते हैं। हमारा शरीर फैट तैयार नहीं करता इसलिए हमें इन्हें बाहर से लेना होता है। मोनोसैचुरेटिफ फैट्स को गुड फैट्स भी कह सकते हैं। इन्हें लेना बेहतर है जबकि ट्रांस फैट्स (फ्रोजन पित्जा, मार्गरिन, बेकरी आइटम, समोसा, छोले-भटूरे आदि) से पूरी तरह तौबा करना बेहतर है। सैचुरेटिड फैट्स (देसी घी, बटर, कोकोनट ऑयल आदि) कम मात्रा में ले सकते हैं।

- विटामिन्स और मिनरल्स को माइक्रो न्यूट्रिएंट कहा जाता है क्योंकि इनकी जरूरत सीमित मात्रा में होती है लेकिन ये अनिवार्य हैं। मिनरल्स पौधों, जानवरों, मछली और तरल चीजों के जरिए हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं लेकिन विटामिन्स हवा, गर्मी, धूप आदि के संपर्क में आने पर निष्क्रिय हो सकते हैं। ऐसे में इन्हें अलग से लेना जरूरी है।

- हमारे शरीर को 13 तरह के विटामिन्स की जरूरत होती है। ये विटामिन A, D, E और पानी में नहीं घुल पाते और इन्हें जज्ब करने के लिए फैट की जरूरत होती है। शरीर में ज्यादा मात्रा होने पर ये टिश्यूज़ में जमा होने लगते हैं, जबकि विटामिन C और विटामिन B-1, B-2, B-3, B-5, B-6, B-7, B-9 और B-12 पानी में घुलनशील होते हैं और इनकी अतिरिक्त मात्रा यूरीन के रास्ते बाहर निकल जाती है।
- शरीर के लिए कई तरह के जरूरी मिनरल्स होते हैं, जिनमें मुख्य हैं- कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, आयोडीन आदि भी हैं।
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*** यहां लेख में जगह-जगह RDA का इस्तेमाल किया गया है। इसका मतलब रेकमेंडेड डायटरी अलाउंसेस है यानी इस जरूरी तत्व को एक दिन में कितनी मात्रा में खाया जाए। यहां एक वयस्क महिला और एक वयस्क पुरुष की RDA दी गई है। उम्र और सेहत के मुताबिक इसे कम-ज्यादा किया जाता है।

कार्बोहाइड्रेट
शरीर में क्या काम: शरीर की एनर्जी का मुख्य जरिया, जो शरीर को तमाम काम करने में मददगार

RDA: 130 ग्राम रोजाना
कमी के लक्षण और बीमारियां: बेहद कमजोरी, दुबलापन, मुंह का सूखना, सिरदर्द, पेट में भारीपन, कीटोसिस बीमारी
टेस्ट: आमतौर पर लक्षणों और डाइट से कमी का पता लगाया जाता है
खाने के सोर्स: अनाज (गेहूं, चावल, सूजी, मैदा, बाजरा आदि), मीठी चीजें (शुगर, गुड़, शहद आदि), फल (चीकू, केला, आम आदि), सब्जियां (आलू, शकरकंद आदि), दालें आदि
ज्यादा सेवन से नुकसानः मोटापा, शुगर और दिल की बीमारी की आशंका
विशेष: खाने का 45-60% हिस्सा कार्ब से आना चाहिए। कार्ब 2 तरह के होते हैंः सिंपल और कॉम्प्लेक्स। सिंपल में शुगर, वाइट ब्रेड, वाइट राइस, मैदा आदि आता है और ये फौरन ग्लूकोज़ में बदल जाते हैं इसलिए अच्छे नहीं माने जाते, जबकि कॉम्प्लेक्स कार्ब में साबुत अनाज, दालें, फल-सब्जियां, ब्राउन राइस आदि आते हैं। इन्हें खाना बेहतर है। हाई ग्लाइसिमिक इंडेक्स के मुकाबले लो ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाले कार्ब खाना बेहतर है क्योंकि ये धीरे-धीरे ग्लूकोज़ में बदलते हैं।

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प्रोटीन
शरीर में क्या काम: हड्डियों, मांसपेशियों, स्किन, बाल और जरूरी अंगों का अहम हिस्सा है प्रोटीन। इससे शरीर ठीक तरह से काम करता है।

RDA: 45 से 60 ग्राम रोजाना, 2.5 ग्राम प्रति किलो से ज्यादा खाना नुकसानदेह

कमी के लक्षण और बीमारियां: बहुत ज्यादा थकान, शरीर के हिस्सों में दर्द, बाल झड़ना, झुंझलाहट, बार-बार इन्फेक्शन आदि

टेस्ट: टोटल प्रोटीन टेस्ट

खाने के सोर्स: दूध और दूध से बनी चीजें, सोयाबीन, दालें, अंडा, मीट, मछली, टोफू, मखाना आदि

ज्यादा सेवन से नुकसानः वजन बढ़ना, कब्ज, डीहाइड्रेशन, थकान आदि

विशेष: हमें वजन के अनुसार 0.8 ग्राम प्रति किलो प्रोटीन लेना चाहिए। औसतन फैट की तरह शरीर प्रोटीन को आगे के लिए जमा कर नहीं रख पाता इसलिए हमें रोजाना जरूरत अनुसार प्रोटीन लेना ही चाहिए।
थोड़ा गुड फैट लेना जरूरी है।
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फैट
शरीर में क्या काम: एनर्जी देता है, शरीर के तापमान को संतुलित रखता है, अंगों के सुरक्षा कवच का काम करता है, जोड़ों में लचीलापन बनाए रखता है और शरीर के कई फंक्शन में मदद करता है।

RDA: 45 से 75 ग्राम फैट रोजाना

कमी के लक्षण और बीमारियां: बदरंग, सूखी और खुश्क स्किन, बांह के ऊपरी हिस्से में गांठें आदि

टेस्ट: मशीनों के अलावा ऑनलाइन भी टेस्ट कर सकते हैं

खाने के सोर्स: फैट 3 तरह के होते हैं सैचुरेटिड (बटर, बीफ, कोकोनट, घी आदि), अनसैचुरेटिड (कनोला, ऑलिव, पीनट, सनफ्लार, सोयाबीन, कॉर्न, सरसों आदि) और ट्रांस फैट (फ्रोजन पित्जा, मार्गरिन, नमकीन, बिस्किट, बार-बार तली जानेवाली चीजें समोसा, छोले-भठूरे आदि)। रोजाना 2-3 छोटे चम्मच तक फैट लेना चाहिए, जिसमें एक चम्मच सैचुरेटिड फैड और 1 या 2 चम्मच अनसैचुरेटिड फैट लेना चाहिए। ट्रांस-फैट से तौबा करें।

ज्यादा सेवन से नुकसानः मोटापा, डायबीटीज़, दिल की बीमारी होने की आशंका

विशेष: पुरुषों में शरीर के वजन का 8-19% और महिलाओं में 21-33 % नॉर्मल फैट रेंज है। आमतौर पर शरीर में फैट की कमी नहीं होती क्योंकि अगर घी-तेल बंद भी कर देते हैं तो भी दूध-दही, फल, सब्जियों आदि से काफी हद तक फैट की जरूरत पूरी हो जाती है। फिर भी थोड़ा गुड फैट लेना जरूरी है।
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फैट में घुलने वाले विटामिन

विटामिन A................
शरीर में क्या काम: शरीर के विकास, आंखों की रोशनी और इम्यून सिस्टम की बेहतरी के अलावा दिल, फेफड़ों और किडनी आदि के फंक्शन में मदद करना

RDA: 700 से 900 माइक्रोग्राम रोजाना, 3000 माइक्रोग्राम से ज्यादा शरीर के लिए खतरनाक

कमी के लक्षण और बीमारियां: रात में दिखाई न देना (Night Blindness), खून न बनना, इम्यून सिस्टम का कमजोर होना, गले, सीने और पेट में बार-बार इन्फेक्शन होना, बच्चों की ग्रोथ कम होना, फर्टिलिटी पर असर पड़ना, स्किन का खुरदुरा होना और बाल झड़ना

टेस्ट: विटामिन A सिरम टेस्ट, इसे रेटिनॉल (Retinol) टेस्ट भी कहते हैं

खाने के सोर्स: बीफ, अंडा, फिश, बटर, दूध, चीज़ चकुंदर, गाजर, ब्रोकली, पालक, लाल-पीली सब्जियां शिमला मिर्च, गाजर, सीताफल, पपीता, आम आदि

ज्यादा सेवन से नुकसान: थकान, हड्डियों में दर्द, चक्कर और उलटी आना, बाल झड़ना, नाखूनों का कमजोर होना, स्किन का बेहद संवेदनशील हो जाना, सिर में पानी जमा हो जाना आदि
विशेष: यह इम्यून सिस्टम को सुधारता है और कुछ तरह के कैंसर से भी बचाव में मददगार है।

विटामिन D................
शरीर में क्या काम: हड्डियों, दांतों और शरीर के तमाम जोड़ों को मजबूत बनाने, नर्व्स और मसल्स के तालमेल को बेहतर करने, इन्फेक्शन से बचाने और किडनी, फेफड़ों, लिवर और हार्ट की बीमारियों की आशंका कम करने में मददगार

RDA: 400–800 इंटरनैशनल यूनिट या 10–20 माइक्रोग्राम रोजाना, हालांकि कुछ एक्सपर्ट 1000-4000 यूनिट या 25-100 माइक्रोग्राम रोजाना की सलाह भी देते हैं

कमी के लक्षण और बीमारियां: हड्डियों, जोड़ों और मसल्स का कमजोर और खोखला होना, कमर और शरीर के निचले हिस्सों में दर्द होना खासकर पिंडलियों में, इम्युनिटी कम होना, बाल झड़ना, बहुत थकान और सुस्ती रहना, ऑस्टियोपोरोसिस, रिकेट्स (पैरों का टेढ़ा होना)

टेस्ट: 25-हाइड्रॉक्सी विटामिन-D ब्लड टेस्ट, इसे विटामिन डी डिफिसिएंशी टेस्ट भी कहते हैं

खाने के सोर्स: मीट, मछली, अंडे, मशरूम और फॉर्टिफाइड दूध, जिसमें विटामिन्स-मिनरल्स ऊपर से डाले जाते हैं
ज्यादा सेवन से नुकसान: किडनी फंक्शन से लेकर मेटाबॉलिजम तक पर बुरा असर
विशेष: 20 नैनोग्राम/मिली से ऊपर नॉर्मल रेंज है लेकिन 50 नैनोग्राम/मिली या ज्यादा को बेहतर माना जाता है। लेवल 800-900 नैनोग्राम/मिली तक पहुंच जाए तो खतरनाक हो जाता है। इसका सबसे अच्छा जरिया है सूरज की किरणें। साल भर में औसतन 45-50 दिन 45 मिनट धूप में निकलने या बैठने से पर्याप्त विटामिन डी मिल जाता है। ऐसा मुमकिन नहीं है तो डॉक्टर की सलाह पर हर महीने एक बार 60,000 यूनिट का सैशे ले सकते हैं।

विटामिन E................
शरीर में क्या काम: रेड ब्लड सेल बनाने और विटामिन-K को जज्ब करने में मददगार। एंटी-ऑक्सिडेंट है यानी बुढ़ापे की रफ्तार कम करता है और इन्फेक्शन से बचाने में मदद करता है। दिल, लिवर से जुड़ी बीमारियों के अलावा स्ट्रोक्स और डिमेंशिया से बचाव में मददगार

RDA: 15 मिलीग्राम रोजाना

कमी के लक्षण और बीमारियां: मसल्स का कमजोर होना, चलने-फिरने और तालमेल बिठाने में दिक्कत, शरीर के हिस्सों का सुन्न पड़ना, देखने में दिक्कत होना और इम्युनिटी कमजोर होना

टेस्ट: विटामिन E सिरम टेस्ट, इसे टोकोफेरॉल (Tocopherol) टेस्ट भी कहते हैं

खाने के सोर्स: बादाम, नट्स, अनाज, दूध, खाने के तेल जैसे कि सूरजमुखी, मूंगफली या ऑलिव ऑयल, सब्जियां जैसे कि पालक, लाल शिमला मिर्च, एवोकाडो आदि

ज्यादा सेवन से नुकसान: ब्लीडिंग, मसल्स में दर्द, डायरिया, उलटी से लेकर स्ट्रोक तक का खतरा, ब्लड थिनर के इस्तेमाल में भी रुकावट पैदा करता है
विशेष: इसकी नॉमर्ल रेंज 5.5-17 मिलीग्राम/लीटर है। यह फैट में घुलने वाला विटामिन है इसलिए यह शरीर में सही से जज्ब हो, इसके लिए गुड फैट (ऑलिव ऑयल, सरसों का तेल, कनोला ऑयल आदि) लेना जरूरी है। प्रेग्नेंट और दूध पिलानेवाली महिलाओं को ज्यादा विटामिन-E की जरूरत होती है।

विटामिन K................
शरीर में क्या काम: ब्लड क्लॉटिंग यानी खून को गाढ़ा रखने के अलावा हड्डियों और दिल की सेहत दुरुस्त रखने में मदद
RDA: 90-120 माइक्रोग्राम रोजाना

कमी के लक्षण और बीमारियां: जरा-सी चोट लगने पर भी खून का बंद न होना

टेस्ट: PT (Prothrombin Time) टेस्ट, जिसमें ब्लड क्लॉटिंग में लगने वाले वक्त का पता लगाया जाता है

खाने के सोर्स: हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे कि पालक, पार्सले, लेट्यूस, गोभी, ब्रोकली, अंडा, बटर, दूध, लिवर आदि

ज्यादा सेवन से नुकसान: विटामिन K की ऊपरी लिमिट और इसकी अधिकता से होने वाली समस्याओं के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है
विशेष: 0.2-3.2 नैनोग्राम/मिलीलीटर नॉर्मल रेंज है। आमतौर पर विटामिन K की कमी बहुत कम पाई जाती है क्योंकि इसकी शरीर में बेहद कम मात्रा में जरूरत होती है।
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पानी में घुलने वाले विटामिन
विटामिन C................
शरीर में क्या काम: इंफेक्शन से बचाव है और इम्यून को मजबूत करना, दांतों और मसूड़ों के साथ-साथ बाल और स्किन के लिए जरूरी, आयरन को जज्ब करने के लिए भी जरूरी

RDA: 65-90 मिलीग्राम रोजाना, 2000 मिलीग्राम रोजाना से ज्यादा लेने पर नुकसानदेह

कमी के लक्षण और बीमारियां: एनीमिया, बाल झड़ना, स्किन का रूखा होना, घाव भरने में देरी होना, दांतों और मसूढ़ों की समस्याएं, स्कर्वी

टेस्ट: विटामिन C सीरम टेस्ट, टोटल ब्लड काउंट टेस्ट

खाने के सोर्स: खट्टे फल (संतरा, नीबू, मौसमी आदि), आलू, ब्रोकली, पालक, लाल-पीली शिमला मिर्च, स्ट्रॉबरी, टमाटर आदि
ज्यादा सेवन से नुकसानः आमतौर पर विटामिन सी की अधिकता नहीं होती लेकिन अगर बहुत ज्यादा मात्रा में ले लिया जाए तो उलटी, चक्कर, सिरदर्द, पेट दर्द और नींद न आना जैसी समस्याएं होती हैं
विशेष: 0.6-2 मिलीग्राम/डेसीलीटर नॉमर्ल रेंज है। शरीर को सबसे ज्यादा विटामिन C की जरूरत होती है। यह एंटी-ऑक्सिडेंट का काम कर बुढ़ापे की रफ्तार भी कम करता है।

विटामिन B................
शरीर में क्या काम: विटामिन B आठ तरह के होते हैंः B-1, B-2, B-3, B-5, B-6, B-7, B-9 और B-12

शरीर में क्या कामः B-1 मेटाबॉलिजम में मददगार है, B-2 फूड को एनर्जी में बदलता है और एंटी-ऑक्सिडेंट का काम करता है, B-3 डीएनए की देखभाल करता है, B-5 हॉर्मोन और कॉलेस्ट्रॉल बनाने में मददगार, B-6 रेड ब्लड सेल बनाता है, B-7 मेटाबॉलिजम में सपोर्ट, B-9 सेल ग्रोथ में मदद, B-12 न्यूरोलॉजिकल फंक्शन, डीएनए और रेड ब्लड सेल डिवेलपमेंट का काम

RDA: B-1 1.2 माइक्रोग्राम, B-2 1.3 माइक्रोग्राम, B-3 16 माइक्रोग्राम, B-5 5 माइक्रोग्राम, B-6 1.3 माइक्रोग्राम, B-7 30 माइक्रोग्राम, B-9 400 माइक्रोग्राम और B-12 2.5 माइक्रोग्राम जरूरी

कमी के लक्षण और बीमारियां: विटामिन B-1, B-2, B-3 की कमी से उलटी, चक्कर, पेट में दर्द, मुंह के कोने फटना आदि, B-6 की कमी से अनीमिया, स्किन रैशेज, उलटी, डिप्रेशन आदि, B-9 की कमी से डायरिया या अनीमिया, B-12 की कमी से याद्दाश्त में कमी, हाथ-पैरों में झनझनाहट, डिप्रेशन आदि समस्याएं हो सकती हैं

टेस्ट: आमतौर पर विटामिन B-12 का टेस्ट कराया जाता है, जो विटामिन B-12 नाम से ही होता है।

खाने के सोर्स: विटामिन B-1: सोयामिल्क, तरबूज, सूरजमुखी के बीज, पोर्क आदि, विटामिन B-2: ऑर्गन मीट, बीफ, मशरूम, लो-फैट मिल्क आदि, विटामिन B-3: मीट, अंडा, टूना और साल्मन फिश, मसूर की दाल, बीज, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि B-5: लिवर, फिश, एवोकाडो, ब्रोकली, मूंगफली, मशरूम आदि, B-6: मीट, फिश, अंडा, टोफू, केला, आलू, सोया प्रोडक्ट्स आदि, B-7: अंडा, चीज़, सोयाबीन आदि, B-9: लिवर मीटर, ब्रोकली, संतरे का जूस, मूंगफली, सीड्स, पालक, शकरकंद आदि, विटामिन-B 12: मीट, अंडा, सी-फूड, साल्मन फिश, दूध और इससे बनी चीजें, सोया मिल्क आदि

ज्यादा सेवन के नुकसानः आमतौर पर विटामिन B की अधिकता नहीं होती। अगर बहुत ज्यादा सप्लिमेंट ले लेते हैं तो सिरदर्द, चक्कर, उलटी, डायरिया, सुन्नपन जैसी समस्याएं होती हैं।

विशेष: सभी विटामिन B खाने को एनर्जी में बदलने में मदद करते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा अहम विटामिन B-12 है, जोकि न्यूरो से लेकर इम्युनिटी तक से जुड़े कई काम करता है। वेजिटेरियन और वेगन लोगों में इसकी कमी खासतौर पर पाई जाती है और इनके लिए सप्लिमेंट लेना जरूरी हो जाता है।
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मिनरल्स

कैल्शियम................
शरीर में क्या काम: हड्डियों, दांतों और नाखूनों को मजबूत बनाना, न्यूरो सिस्टम को दुरुस्त रखना

RDA: 1000 mg यानी 1 ग्राम रोजाना

कमी के लक्षण और बीमारियां: हड्डियों में दर्द, बहुत ज्यादा थकान होना, बाल झड़ना, रिकेट्स आदि

टेस्ट: डेक्सास्कैन, इसे बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट भी कहते हैं। यह हड्डियों में मौजूद कैल्शियम के लेवल की जांच करता है

खाने के सोर्स: दूध और दूध से बनी चीजें, हरी पत्तेदार सब्जियां, साल्मन फिश, मशरूम, बीन्स, ब्रोकली, चुकंदर, कमल ककड़ी, केला, संतरा, शहतूत, सिंघाड़ा, ड्राई-फ्रूट्स, तिल, राजमा, मूंगफली आदि

ज्यादा सेवन से नुकसानः दिल और किडनी में कैल्शियम जमना, कब्ज, डायरिया, हड्डियों में दर्द आदि
विशेष: मिनरल्स में सबसे ज्यादा कैल्शियम की जरूरत होती है हमारे शरीर को। इसकी नॉर्मल रेंज 8.8 से 10.6 मिलीग्राम/डेसीलीटर है। कैल्शियम का फायदा शरीर को मिले, इसके लिए जरूर है कि शरीर में विटामिन-D का लेवल सही हो।

आयरन................
शरीर में क्या कामः रेड ब्लड सेल बनाने और खून को हेल्दी रखने में मददगार

RDA: 8-18 मिलीग्राम रोजाना

कमी के लक्षण और बीमारियांः कमजोरी, त्वचा का पीला पड़ना, बाल झड़ना, अनीमिया आदि

टेस्टः टोटल ब्लड काउंट
खाने के सोर्सः लिवर, बीफ, टर्की, अंडा, अनार, पालक, साबुत अनाज, मसूर दाल, बीन्स, चुकंदर आदि

मैग्नीशियम................
शरीर में क्या कामः मसल्स और नर्व्स के सही से काम करने और हड्डियों के लिए जरूरी

RDA: 310 से 400 मिलीग्राम

कमी के लक्षण और बीमारियांः शरीर में दर्द, ग्रोथ कम होना, अजीबोगरीब बर्ताव करना आदि

टेस्टः टोटल सीरम मैग्नीशियम टेस्ट
खाने के सोर्सः हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, सीड्स, होल वीट ब्रेड, सोयाबीन, डेयरी प्रोडक्ट्स आदि

फॉस्फोरस................
शरीर में क्या कामः खाने को एनर्जी में बदलता है, सेल्स के काम करने और शरीर की ग्रोथ में मदद

RDA: 700 मिलीग्राम रोजाना

कमी के लक्षण और बीमारियांः कमजोरी, हड्डियों में दर्द और कमजोरी, कैल्शियम की कमी

टेस्टः फॉस्फोरस टेस्ट
खाने के सोर्सः दूध और दूध से बनी चीजें, मटर, अनाज, अंडे, नट्स आदि

पोटैशियम................
शरीर में क्या कामः नर्व्स के कामकाज और पानी का संतुलन बनाने में भूमिका, ब्लड प्रेशर कंट्रोल और पथरी की आशंका कम करना

RDA: 4700 मिलीग्राम रोजाना

कमी के लक्षण और बीमारियांः कमजोरी, पैरालेसिस

टेस्टः पोटैशियम टेस्ट
खाने के सोर्सः दही, दूध, टूना मछली, सोयाबीन, पीले फल और सब्जियां जैसे कि आलू, केला आदि

सोडियम................
शरीर में क्या कामः यह ब्लड प्रेशर ठीक रखता है और मांसपेशियों के साथ-साथ दिमागी संतुलन भी सही बनाए रखता है

RDA: 1500 मिलीग्राम रोजाना

कमी के लक्षण और बीमारियांः भूख कम लगना, मसल्स में जकड़न (क्रैम्प), दौरे पड़ना

टेस्टः सोडियम ब्लड टेस्ट
खाने के सोर्सः नमक, सोया सॉस, प्रोसेस्ड फूड, सब्जियां आदि

आयोडीन................
शरीर में क्या कामः थायरॉयड हॉर्मोन बनाता है जोकि दिमाग और हड्डियों के विकास के लिए जरूरी है। मेटाबॉलिज़म भी कंट्रोल करता है

RDA: 150 माइक्रोग्राम रोजाना

कमी के लक्षण और बीमारियांः मेटाबॉलिक रेट कम होना, गॉयटर बीमारी होना, जिसमें गला फूल जाता है और बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास नहीं होता

टेस्टः ब्लड टेस्ट, यूरीन टेस्ट और आयोडीन पैच टेस्ट
खाने के सोर्सः सी-फूड, डेयरी प्रोडक्ट्स, आयोडाइज्ड नमक आदि
नोटः इनके अलावा भी कॉपर, क्रोमियम, जिंक, क्लोराइड, सल्फर, फ्लोराइड जैसे कई और मिनरल्स भी शरीर के लिए जरूरी हैं।
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क्या है बैलेंस्ड डायट
बैलेंस्ड डायट वह है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स और पानी का सही संतुलन हो। हमारे शरीर को रोजाना 50-55 फीसदी कार्ब (रोटी, चावल, ओट्स, नूडल्स, आलू, मीठे फल, कॉर्न आदि), 25-30 फीसदी प्रोटीन (मीट, फिश, अंडा, सोयाबीन, दाल, दूध और दूध से बनी चीजें आदि) और 15-20 फीसदी फैट्स (घी, तेल, नट्स, चीज़ आदि) की जरूरत होती है। साथ ही, मिनरल्स और विटामिन्स की भी जरूरत होती है, जोकि सब्जी, फल, बीज, नट्स, आदि से मिलते हैं।
खाना पकाने और खाने का सही तरीका
सब्जियों को न ज्यादा पकाएं और न ही ज्यादा मसालेदार बनाएं। वरना उनमें मौजूद तमाम विटामिन्स और मिनरल्स लगभग खत्म हो जाते हैं। अगर दाल रात में भिगों दें और सुबह उसे बस थोड़ा उबाल लें तो बहुत जल्दी गल जाएगी और इसमें मौजूद पौष्टिक तत्व भी नष्ट नहीं होंगे। कच्ची सब्जियों जैसे खीरा, ककड़ी, प्याज, टमामट, पत्तागोभी आदि को बहुत अच्छी तरह धोकर सलाद के रूप में खाएं। शरीर को पानी, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मिलेंगे। खाने खासकर अनाज से बनी चीजों को चबा-चबा कर खाएं। अगर आप रोटी, चावल या कोई और अनाज खाते हैं तो तब तक चबाएं जब तक कि उसका स्वाद जीभ पर ना आ जाए। जैसे ज्यादा चबाने पर रोटी का मीठापन महसूस करेंगे।
फलों को खाली पेट खाना बेहतर है। सुबह नाश्ते में ले सकते हैं या शाम को खाली पेट। खाने के बाद लेना है तो लगभग दो घंटे बाद फल खाएं। खाने के साथ या फौरन बाद खाने से ये ठीक से पच नहीं पाते और इनका फायदा नहीं मिल पाता। जूस के बजाय फलों का सेवन बेहतर है क्योंकि फलों से फाइबर भी मिलता है। उठते ही खाली पेट पानी पिएं। खाने के साथ पानी न पिएं। इससे खाने को पचाने के लिए शरीर में बनने वाले जूस पानी के साथ निकल जाते हैं। हमेशा खाने के आधा या एक घंटे बाद पानी पिएं।
एक्सपर्ट पैनल
डॉ. के. के. अग्रवाल, इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट
डॉ. आर. हेमलता, डायरेक्टर, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन
डॉ. महिपाल सचदेव, डायरेक्टर, सेंटर फॉर साइट
डॉ. के. के. मिश्रा, सीनियर ऑर्थोपीडिक सर्जन, प्राइमस हॉस्पिटल
डॉ. प्रियंका रोहतगी, सीनियर न्यूट्रिशनिस्ट, अपोलो हॉस्पिटल
सोनिया नारंग, डायट एक्सपर्ट

संडे नवभारत टाइम्स 

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