मेरी प्यारी बेटी आन्या |
मै अपनी प्यारी बेटी के साथ |
तो लगता है ,
सारा जहाँ हँस रहा है ,
उसके हँसने से ही ,
अंतर का दर्द ,चुभन
कम होने लगती है ,
लगता है उसका हँसना ही ,
दवा है ,दुआ है
इस भागते जीवन में ,
वैसे भी जब "बेटियाँ" ,
हँसती है ,मुस्कराती है ,खिलखिलाती है ,
तब सही मायनों में लगता है ,
परिवार हँस रहा है ,
समाज हँस रहा है ,
और देश भी हँस रहा है ,
लेकिन जब वह पीड़ा में
रोती हैं,बिलखती है ,
तो ऐसा लगता है कि ,
सारा संसार ही रोता है ,
प्रकृति भी रोती है ,
वास्तव में "बेटी " के,
हँसने से ही परिवार चलेगा ,
ये प्रकृति भी चलेगी ,
क्योंकि वही तो ,
"जगत जननी " है
उसका स्पर्श ही तो ,
जीवन का आधार है ,
जीवन का विश्राम है ..
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उसका गिरना
और फिर संभलना
उसका रोना और फिर हँसना
भान जी (भगवान )की
फोटो को प्रणाम करना
फिर उनके साथ खेलना
और खेलते हुए
भान जी को पटक देना
और फिर प्रणाम करना
ऐसा ही चलता है
दिन भर ,रात भर
और बचपन भर
कुत्ते को देखकर खुश होना
फिर उसके साथ खेलना
और उसे मारना
उससे बिलकुल नहीं डरना
चिडियों ,बारिश ,पानी
को देखकर चहचहाना
घर से ज्यादा बज्जी (बाजार )
जाने की जिद करना
और बाहर मन लगना
हमेशा मुस्कराना
रोते रोते भी खिलखिलाना कर हँसना
ऐसे ही चलता रहा है
उसके बचपन भर
लेकिन क्या ये चलेगा
जिंदगी भर
हम क्यों बड़े होते है
हम क्यों समझदार होते है ,
जिंदगी का असली
आनंद तो नादानी में है
बचपन में है
जहाँ असली जीवन है
वास्तविक जीवन है
बाकी तो सब आभासी है .
स्वरचित -शशांक द्विवेदी
prem ke charmotkarsh ko darshati ,pita ke avarneeya ,aseem isneh ki anupam krati.sars rachna ke lie aapko dhanyvad.
ReplyDeletethanks sushila ji for ur nice word.pls join my blog and also my website www.vigyanpedia.com
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