"आज सपने देखूँगा "
आज मै सपने देखूँगा
दिन में भी ,रात में भी
सोते हुए भी
जागते हुए भी
क्योंकि वास्तविक जिंदगी तो
बहुत कठिन लगती है
कई बार रोती भी नहीं मिलती
भूख ,गरीबी ,लाचारी
है जीवन में
लेकिन अमीरी
के सपने
तो देख ही सकते है ,
जिन्दा रहने के लिए
रोटी न सही
सपने ही सही
कुछ तो चाहिए
जीने के लिए !!
स्वरचित -शशांक द्विवेदी
आज मै सपने देखूँगा
दिन में भी ,रात में भी
सोते हुए भी
जागते हुए भी
क्योंकि वास्तविक जिंदगी तो
बहुत कठिन लगती है
कई बार रोती भी नहीं मिलती
भूख ,गरीबी ,लाचारी
है जीवन में
लेकिन अमीरी
के सपने
तो देख ही सकते है ,
जिन्दा रहने के लिए
रोटी न सही
सपने ही सही
कुछ तो चाहिए
जीने के लिए !!
स्वरचित -शशांक द्विवेदी
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